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मध्य एशिया और पंजाब में जैनधर्म
कोशिश करता हूँ । सन् १९२२ से अब तक मैंने जितनी भी देश सेवा की, वह सब महात्मा गांधी जी की विचारधाराओं से प्रेरणा लेकर की है । अब मेरी श्रायु ६५ वर्ष की है । अब तक मैं देश सेवा कर रहा हूं और प्राशा करता हूं कि जब तक जीवित रहूँगा देश की सेवा करता रहूँगा । नोट- -८ मई १९७६ को श्री विलायतीराम जी का स्वर्गवास हो गया ।
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श्राप देश भक्ति के साथ जैनशासन की सेवा में भी योगदान देते रहे । श्री हस्तिनापुर जैन श्वेतांबर तीर्थ मंत्री तथा उपप्रधान के पद पर रहते हुए लगभग ३० वर्ष तक सेवारत रहे ।
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लाला टेकचन्द ओसवाल गददहिया गोत्रीय
लाला टेकचन्दजी स्थानकवासीजैन स्यालकोट पंजाब (पाकिस्तान) निवासी थे । आप एक उच्च और बहुत बड़े परिवार के सदस्य थे । आपके पितामह लाला रूपेशाह नगरपालिका के सदस्य
थे । आपके पिता लाला नत्थूशाह भी नगरपालिका के सदस्य थे । और लाला टेकचन्दजी नगरपालिका के सदस्य तथा स्यालकोट नगर काँग्रेस कमेटी के प्रधान थे ।
देश के स्वतंत्रता संग्राम में आप सदा प्रग्रगण्य थे । अंग्रेज सरकार ने आपको सत्याग्रह आंदोलन में दो बार एकएक वर्ष का कारावास का दंड दिया था ।
लाला टेकचन्द ओसवाल
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लाला टेकचन्द जी का स्वास्थ्य अंग्रेजी सरकार की जेल में ही खराब हो चुका था । रबड़ की कम्पनी को चालू करने के बाद आपका स्यालकोट में सन् ईस्वी १९३५ में ही देहान्त हो
गया ।
आपकी मृत्यु पर सारा नगर बन्द रहा और सब नगरवासियों ने श्रद्धांजलि अर्पित की।
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आपने सन् ईस्वी १९३५ में स्यालकोट में एक रबड़ का कारखाना लाला भोलानाथजी खंडेलवाल श्वेतांबर मूर्तिपूजकजैन सनखतरा नगर निवासी के सहयोग से लगाया । यह डनलप कम्पनी के बाद भारत में पहला रबड़ का कारखाना था । बाद में इसे लिमिटिड कम्पनी का रूप दिया गया । पाकिस्तान बनने के बाद यह कम्पनी आज भी कटनी (मध्य (प्रदेश) में इस कारखाने को बहुत बड़े रूप में चला रही है ।
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