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________________ श्री विलायतीराम जैन ५७६ जब भी - जहाँ भी - दो पक्षों में झगड़ा - कलह-क्लेश या मतभेद हो जाता- निर्णयार्थ लाला दौलतराम जी जैन हमारी बात सुनकर जो भी निर्णय दें हमें स्वीकार होगा- दोनों पक्षों की ओर से ऐसी घोषणा हो जाती थी । यह है निरपक्ष निर्मल- सत्यवादी और प्रादरणीय व्यक्तित्व | आपकी चार पुत्रियाँ और तीन पुत्र हैं- बड़ा पुत्र लाला नत्थूराम, द्वितीय श्री कस्तूरीलाल और कनिष्ठ पुत्र श्री दीवानचन्दजी हैं । ४ साल से अधरंग ( फालिज) से रोग शैय्या पर रहने से स्मरण शक्ति विस्मरण हो गई श्री । स० ई० १६७९ में आप का स्वर्गवास हो गया । श्री विलायतीराम जैन अम्बाला मेरा जन्म ८ फरवरी १९०४ को अम्बाला शहर में श्री श्रात्माराम जैन प्रोसवाल के घर में हुआ था। मेरी माता का नाम श्रीमती परजी बाई था । मैं १५ मार्च १९२२ को दसवी कक्षा में पढ़ रहा था महात्मा गाँधी के नेतृत्व में चल रहे स्वतन्त्रता आन्दोलन से प्रभावित होकर मैंने स्कूल छोड़ दिया और काँग्रेस में शामिल हो गया और कांग्रेस के लिए कार्य करता रहा । १६२५ से १९२७ तक खादी के प्रचार का कार्य करता रहा । १६२८ में ( २२ वर्ष की आयु में ) काँग्रेस पार्टी का मंत्री बनाया गया । लगभग १९३६ तक मन्त्री का कार्य करता रहा । १९३० (३०-१०-३०) को शराब बंदी आन्दोलन के सिलसिले में ६ मास की सख्त सजा और १०० रु० जुर्माना हुआ, जुर्माना न देने पर १ माह १५ दिन की सजा और भुगतनी पड़ी यह सारी सज़ा अम्बाला जेल, श्रटक कैम्प जेल, कैम्बलपुर जेल में गुजारी। कैम्बलपुर जेल से रिहा होने के पश्चात् फिर मन्त्री का कार्य श्रारम्भ कर दिया । १९३२ में फिर स्वतन्त्रता आंदोलन आरम्भ हो गया ६-२-३२ को ४-५-१९३२ के कानून अनुसार पुनः गिरफ्तार कर लिया गया और ६ माह की सख्त कैद और ३०रु० जुर्माना हुन । जुर्माना न देने के कारण १ माह १५ दिन की और सजा भुगतनी पड़ी। इस दौरान में मुझे अम्बाला और फिरोजपुर सेंट्रल जेल में रखा गया । फिरोजपुर जेल से रिहा होने के पश्चात् भी मैंने पार्टी के लिए मंत्री कार्य कई वर्षों तक जारी रखा । सन् १९४२ में 'भारत छोड़ो आंदोलन' का नारा लगाया गया । ८ अगस्त १९४२ को कांग्रेस कार्यकारिणी ने 'भारत छोड़ो' प्रस्ताव रखा कर लिया गया । और 8 अगस्त को सभी कार्यकारिणी के सदस्यों को बम्बई में गिरफ्तार अम्बाला में सूची पर सबसे ऊपर मेरा नाम था अम्बाला शहर में सबसे पहले १० अगस्त १९४२ को रात्रि के लगभग ८ बजे अनाजमंडी बाजार तंदूरान में पब्लिक और पुलिस की मौजूदगी में भारत छोड़ो' का नारा लगाया और अंग्रेज सरकार के खिलाफ तकरीर की जिस पर पुलिस द्वारा मुझे गिरफ्तार कर लिया गया और दफा २६ अन्तर्गत मुझे अम्बाला जेल में नजरबंद कर दिया । अम्बाला जेल से कुछ दिनों के पश्चात् शाहपुर जेल में, और उसके पश्चात् मियांवाली जेल में लगभग ३ महीने तक रखा गया, मुझे करीब १ वर्ष ६ माह तक नजरबंद रखा गया। देश का विभाजन हुआ फिर देश को स्वतंत्रता प्राप्त हुई। उसी प्रकार मैं देश सेवा के कार्य करता रहा । अब तक इस समय भी मैं कांग्रेस का सदस्य हूँ जितना भी कार्य हो अधिक से अधिक करने की Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003165
Book TitleMadhya Asia aur Punjab me Jain Dharm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Duggad
PublisherJain Prachin Sahitya Prakashan Mandir Delhi
Publication Year1979
Total Pages658
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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