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मध्य एशिया और पंजाब में जैनधर्म प्रमुख जन श्रावकों का परिचय
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श्री वीर चन्द राघवजी गाँधी
वीरचन्द गांधी का जन्म २५ अगस्त स० ई० १८६४ को सौराष्ट्र में भावनगर के निकट महुवा गांव में श्री राघवजी के घर पुत्र रूप में हुआ था। परिवार पर लक्ष्मी का वरदान न था। परन्तु अपनी धर्मपरायणता, प्रमाणिकता तथा व्यवसायकुशलता में राघवजी भाई सुविख्यात थे और सच्चे समाजसुधारक भी थे।
वीरचन्द जी की प्रारंभिक शिक्षा गाँव की गुजराती शाला में ही हुई थी। पश्चात् भावनगर में जाकर उन्होंने मैट्रिक परीक्षा पास की, तत्पश्चात् उच्चशिक्षा की प्राप्ति केलिये बम्बई गये और एलफिस्टन कालेज में शिक्षा प्राप्त कर ई० स० १८८४ में सम्मान सहित बी० ए० की परीक्षा में उत्तीर्ण हुए। श्वेताँबर समाज में वीरचन्द जी पहले ग्रेजुएट बने थे। अत: उस समय समाज की ओर से आपका हार्दिक अभिनन्दन किया गया था।
। ई० सं० १८८२ में भारत के भिन्न-भिन्न भागों में VIRRUARunu बसनेवाले जैनों को संगठित करने, उनकी सामाजिक, नैतिक
और मानसिक उन्नति के उपाय सोचने, जैनधर्म के ट्रस्टफंड और धर्म-खातों की देखरेख करने, पशवध रोकने और तीर्थस्थानों की सुरक्षा तथा वहां जानेवाले यात्रियों की कठिनाइयों को दूर करने के उद्देश्य से श्वेतांबर जैनों की ओर से Jain Association of India नाम की एक सभा स्थापित की गई थी। ई० सं० १८८४ को वीरचन्द जी को इसका मंत्री बनाया गया। इस प्रकार बी० ए० की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद तत्काल ही पापने सार्वजनिक कार्यों में भाग लेना प्रारंभ कर दिया। इस संस्था ने आपके नेतृत्व में अनेक महत्वपूर्ण कार्य किये। जिसमें पालीताणा के ठाकुर से कर (यात्री टैक्स) के विषय में समझौता तथा सम्मेतशिखर पर जैनों का अधिकार प्रमाणित कर वहां वधशाला को रुकवाना विशेष महत्वपूर्ण है । पर श्री वीरचन्द जी एक व्यापारिक कम्पनी में नौकरी करने लगे और साथ ही सोलिसिटरी की परीक्षा की तैयारी करने लगे । तथा उसमें सफलता प्राप्त की।
श्री विजयानन्द सूरि (प्रात्माराम) जी को शिकागो से १८९३ ई० में सर्वधर्मपरिषद् में भाग लेने का निमंत्रण मिला । आपने इस प्रश्न को "जैन ऐसोसिएशन" के पास विचारार्थ भेजा। श्री वीरचन्द जी को प्रतिनिधि निर्वाचित किया गया। श्री वीरचन्द जैनों के विदेश में जानेवाले इस युग के प्रथम जैनयुवक थे। कुछ लोगों ने समुद्र यात्रा का विरोध भी किया, परन्तु श्री विजयानन्द सूरि के क्रांतिकारी निश्चय के सम्मुख वह विरोध टिक न पाया ।
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