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________________ मध्य एशिया और पंजाब में जैनधर्म इसी चतुर्मास में मुनि श्री विचारविजय जी की हृदयगति बन्द हो जाने से दिल्ली में स्वर्गवास हो गया। ___चौमासे उठे मुनि प्रकाशविजय जी ने अपने तीन साधुनों के साथ पंजाब की तरफ विहार किया । पंजाब में शासन सेवाकार्य वि. सं. २०११ का चतुर्मास सामाना में किया और यहां के उपाश्रय का जीर्णोद्धार कराया। वि. सं. २०१२ में मालेरकोटला गये। वहां से विहार कर अम्बाला शहर में चतुर्मास किया। यहां पर व्याख्यानदिवाकर, विद्याभूषण, न्यायतीर्थ, न्यायमनीषी स्नातक पंडित श्री हीरालाल जी दूगड़ से तत्त्वार्थ सूत्र का दिगम्बर-श्वेतांबर टीकामों के साथ तुलनात्मक अभ्यास किया और दूगड़ जी की प्रेरणा से ही पंजाब और उत्तरप्रदेश के क्षेत्रों में जिनशासन की प्रभावना का निश्चय किया। वि. स. २०१३ में जंडियाला गुरु में चतुर्माश किया । पश्चात् होशियारपुर में लाला रतनचन्द रिखबदास प्रोसवाल भावड़ा गहिया गोत्री ने उपधान तप कराया। वि. सं. २०१४ में लुधियाना में चतुर्मास और युवकों को संगठित होने की प्रेरणा दी। वि. सं. २०१५ में चौमासा पट्टी में और उपधान तप की आराधना कराई। । वि. सं. २०१६ में चौमासा लुधियाना में किया। वि. सं. २०१७ में चौमासा अम्बाला में । पर्यषणापर्व की आराधना अपने उपाश्रय में श्वेतांबरों और स्थानकवासियों दोनों को शामिल में उनकी अपनी-अपनी प्राम्नाय से कराई। पश्चात् हस्तिनापुर तीर्थ की यात्रा की। कई शताब्दियों के बाद वि. सं. २०१८ का चौमासा मुनि वल्लभदत्तविजय, मुनि नन्दनविजय, मुनि पद्मविजय आदि के साथ हस्तिनापुर में आपने ही किया। इस चतुर्मास में आपने हस्तिनापुर में निम्न प्रकार योजनाएं बनाईं। (१) उपधान तप कराया। (२) उत्तरप्रदेश (यू. पी.) के श्वेतांबर संघ को संगठित करके श्री श्वेतांबर जैन महासभा उत्तरप्रदेश की स्थापना की। (३) श्री प्रात्मानन्द जैन बालाश्रम की स्थापना तथा उसकी बिल्डिग निर्माण कराने की योजना बनाई। (४) श्री आत्मानन्द जैन उच्चत्तर माध्यमिक स्कूल की स्थापना तथा उसकी बिल्डिंग निर्माण कराने का निर्णय किया । (५) श्री शांतिनाथ भगवान के समवसरण की स्थापना का निर्णय किया । (६) खरतरगच्छ दादावाड़ी की एक पार्क में स्थापनाएं करना। वि. सं. २०१६ का चौमासा लुधियाना में । चतुर्मास के पश्चात् विहार कर बड़ौत पधारे । वहां वर्धमान जैन शिक्षण समिति की स्थापना करके कन्याओं केलिए सिलाई शिक्षण पाठशाला की स्थापना। इसी संवत् में माकड़ी(उत्तरप्रदेश)के खरतरगच्छ जैन श्वेतांबर मंदिर का जीर्णोद्धार कराया। २०२० वि. सं. चौमासा चांदनी चौक दिल्ली, २०२१ चौमासा कलकत्ता, २०२२ ऋषिकेश, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003165
Book TitleMadhya Asia aur Punjab me Jain Dharm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Duggad
PublisherJain Prachin Sahitya Prakashan Mandir Delhi
Publication Year1979
Total Pages658
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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