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________________ प्राचार्य श्री विजयवल्लभ सूरि ४८१ तीर्थ यात्राएं १. श्री सिद्धाचल, २. श्री गिरनार, ३. श्री तारंगा हिल, ४. श्री पाबू, ५. श्री अन्तरीक्ष पार्श्वनाथ, ६. श्री मांडवगढ़, ७. श्री केसरिया ऋषभदेव, ८. श्री शखेश्वर पार्श्वनाथ, ६. कांगड़ा, १०. भोयनी, ११. पानसर, १२. श्री कम्बोई, १३. श्री सेरिसा, १४. श्री उपरिपाला, १५. श्री हस्तिनापुर, १६. श्री भोपावर, १७. श्री भेहरा, सौराष्ट्र और राजस्थान की पंचतीथियां अनेक तीर्थों की यात्राएं आप श्री ने मुनिमंडल के साथ कीं। महोत्सव १. प्रापका दीक्षा अर्धशताब्दी महोत्सव अंबाला शहर में वि० सं० २००५ में धूम-धाम से मनाया गया । २. दीक्षा हीरक महोत्सव वि० सं० २०१० में बम्बई में बड़ी धूमधाम से ३. जन्म हीरक महोत्सव वि० सं० २००१ में और ४. जन्म महोत्सव कार्तिक सुदि २ पंजाब के प्रत्येक गाँवनगर में तथा राजस्थान, बम्बई, बड़ौदा, बीकानेर, गुजरात आदि शहरों में प्रतिवर्ष मनाया जाता रहा है। प्राचार्य श्री द्वारा जिनमंदिरों की प्रतिष्ठा तथा अंजनशलाका नगर वि० सं० मिति प्रतिष्ठा मूलनायक १. सामाना १६७६ माघ सुदि ११ , शांतिनाथ २. लाहौर १९८१ मार्गशीर्ष सुदि ५ , ऊपर सुविधिनाथ नीचे शांतिनाथ ३. बिनौली १६८३ जेठ सुदि ६ शांतिनाथ ४. बड़ौत १६६५ माघ सुदि ७ शांतिनाथ ५. साढौरा १६६६ मार्गशीर्ष वदि १० ६. खानकाहडोगरां १९६६ फाल्गुन वदि ६ शांतिनाथ ७. कसूर १९६६ पोष मुदि १५ ऋषभदेव ८. रायकोट १९६६ वैसाख सुदि ६ ऊपर सुमतिनाथ नीचे सुपार्श्वनाथ ६. होशियारपुर १९६६ जेठ सूदि १३ गौतमनगर में श्री विजयानन्द सूरि प्रादि की प्रति माएं १०. फाजिलका २००२ फाल्गुन सुदि २ , चन्द्रप्रभु ११. स्यालकोट २००३ मार्गशीर्ष सुदि ५ , ऊपर शांतिनाथ चौमुख नीचे शाश्वतजिन , चारों दरवाजों के ताकों में शासन देवी देवता। एक ताक में मणिभद्र क्षत्रपाल एक वेदी में मुनि बुद्धि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003165
Book TitleMadhya Asia aur Punjab me Jain Dharm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Duggad
PublisherJain Prachin Sahitya Prakashan Mandir Delhi
Publication Year1979
Total Pages658
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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