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________________ ग्रंथकर्ता और कवि ४. हजारीलाल | ५. कुद्धाशाह ६. ३. शाह प्रासानन्द 1 ७: दित्तामल T ८. कवि खुशीराम राजकौर 1 1. 2. 3. afa खुशीराम तथा इस ग्रन्थ लेखक की वंशावली १. शाह नानकचन्द २. शाह दीपचन्द 1 लक्ष्मीचन्द ४. बागमल बुद्धाशाह सुखानन्द ५. Jain Education International गुलाबचन्द ६. कर्मचन्द T गंडाल ७. ईश्वरदास मानकचन्द० ( पांचभाई) 5. हीरा लखमी लाल लाल I ३. शाह बंसीधर रामदयाल मानकचन्द + धमयश मथुरादास ७. दीनानाथ ४० १ ] ६. पुरषोत्तमकुमार सुदर्शनकुमार श्रेयांसकुमार अभयकुमार अमृतकुमार मनोजकुमार हरिचन्द लाला कर्मचन्द जी दूगड़ शास्त्री जैनागमों के मार्मिक विद्वान थे। अनेक जैन साधु-साध्वियों को जैनागम का अभ्यास कराया । स्वर्गवास गुजरांवाला में वि० सं १९६१ में हुआ । लाला ईश्वरचन्द लाला कर्मचन्द जी के सुषुत्र थे तथा उच्चकोटि के कवि थे । स्वर्गवास वि० सं० १९५१ में हुआ । लाला दीनानाथ शास्त्री कर्मचन्द जी के छोटे भाई लाला मथुरादास जी के पुत्र थे और ज्योतिष विद्या के प्रकांड विद्वान थे । आपका स्वर्गवास आगरा में वि० सं० २०१० में हुआ । 4. लाला खुशीराम जी जैनवागमय के विद्वान और कवि थे आप का स्वर्गवास वि० सं० १९८० में हुमा । गंडामल शादी यशकिति महेन्द्र रमणीक लाल कुमार लाल 5. लाला मानकचन्द जी ने इकाई से व्यापार शुरू किया और गुजरांवाला में कपड़े के व्यवसाथ में खूब तरक्की कर समृद्धिशाली हुए । स्कूल की शिक्षा प्रल्प होने पर भी प्राप की बुद्धि विलक्षण थी गुजरांवाला श्रीसंघ के कई वर्षों तक प्रधान रहे । पाकिस्तान के बाद आपका परिवार आगरा में आवाद हुआ। 6. पं० हीरालाल दूगड़ शास्त्री जैनदर्शन के योग्य विद्वान हैं । जन्म वि० सं० १९६१ ( ई० सं० १९०४ ) में गुजरांवाला में हुआ। पाकिस्तान बनने के पश्चात् प्राप परिवार के साथ दिल्ली में जैनसाहित्य रचना के कार्य में जुटे हुए हैं । १ से ६ तक का परिचय इन की जीवनियों में लिखा है । वहाँ से ज्ञात कर सकते हैं । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003165
Book TitleMadhya Asia aur Punjab me Jain Dharm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Duggad
PublisherJain Prachin Sahitya Prakashan Mandir Delhi
Publication Year1979
Total Pages658
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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