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________________ जैन मंदिर और संस्थाएं ३५६ सारसंभाल इस ग्राम के निवासी करते हैं। जिनकी इन पर अटूट श्रद्धा है । वे लोग इस स्थान को बाबा का स्थान कहकर पूजते हैं । गुरुदेव के जन्मदिन समारोह को मनाने तथा गुरुधाम को ख्याति में लाने के लिए प्रमुख सेवा का कार्यभार श्री मदनलाल प्रधान, श्री सत्यपाल जैन नौलखा और श्री शांतिदास नौलखा (वर्तमान लुधियाना) प्रचारमंत्री निभा रहे हैं। ११-जेजों जिला होशियारपुर (१) एक जनश्वेतांबर मंदिर है। इसका निर्माण लाला गुलाबराय, लाला गुज्जरमल, लाला नत्थुमल, लाला सुन्दरलाल ने वि० सं० १९४८ में प्राचार्य श्री विजयानन्द सूरि के उपदेश से करवाया था। अंजनशलाका प्राचार्य श्री ने ही कराई थी। आपके पट्टघर आचार्य श्री विजयवल्लभ सूरि जी के शिष्य प्राचार्य श्री विजयविद्या सूरि ने इसकी प्रतिष्ठा बड़ी धूम-धाम से कराई थी। (२) स्थानकवासियों का एक स्थानक है। १२--फिरोजपुर छावनी (१) दिगम्बर जैन मंदिर है।। (२) दिगम्बर जैन हायर-सकेण्ड्री स्कूल है । १३-नकोदर जिला जालंधर यहाँ खंडेलवाल श्वेतांबर जैनों के ३०-३५ घर हैं । प्रायः सब व्यापारी हैं। (१) जैन श्वेतांबर मंदिर है । वि० सं० १६३७ में श्री विजयानन्द सूरि के उपदेश से इस मंदिर की स्थापना हुई और प्रतिष्ठा वि० सं० १६४१ में हुई । मूलनायक श्री धर्मनाथ प्रभु हैं। (२) इसी मंदिर में प्राचार्य श्री विजयानन्द सूरि की भव्य प्रतिमा भी स्थापित है। (६) श्वेतांबर जैन उपाश्रय है। (४) यहाँ पर यतियों की गद्दी भी थी, उत्तरार्ध लौंकागच्छीय यति मनसाऋषि, अंतिम यति श्री मधुसूदन ऋषि थे। इस गद्दी से संबंधित एक एकड़ उपजाऊ भूमि भी है जो श्वेतांबर संघ की मल्कीयत है। १४-नाभा (१) जैन श्वेतांबर मंदिर हैं। वि० सं० २०१५ में आचार्य श्री विजयवल्लभ सरि के उपदेश से बना । प्रतिष्ठा आपके शिष्य के प्रशिष्य मुनि श्री प्रकाशविजय (प्राचार्य विजयप्रकाश चन्द्र सूरि) ने कराई। (२) स्थानकवासियों का स्थानक है । ___१५–पट्टी जिला अमृतसर (१) पंचायती श्वेतांबर जैन मंदिर, मूलनायक श्री मनमोहन पार्श्वनाथ प्रभु हैं । वि० सं० १९५१ मिति माघ सुदि १३ को प्राचार्य श्री विजयानन्द सूरि ने इसकी प्रतिष्ठा की। (२) श्वेतांबर जैनमंदिर यतियों का है । मूलनायक श्री विमलनाथ जी हैं। (३) यहाँ उत्तरार्ध लौं कागच्छ के यतियों की गद्दी थी। अंतिम यति श्री कृपाऋषि जी हुए हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003165
Book TitleMadhya Asia aur Punjab me Jain Dharm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Duggad
PublisherJain Prachin Sahitya Prakashan Mandir Delhi
Publication Year1979
Total Pages658
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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