________________
२६६
मध्य एशिया और पंजाब में जैनधर्म
property was confiscated. During the time of those fasts, the Emperor abstained altogether from meat as a religious penance, gradually extending the several fast during a year for six months and even more, with a view to eventually discontinuing the use of meat altogether.”1
अर्थात्-"इस समय बादशाह ने कितने ही नये-प्रिय सिद्धान्तों (विचारों) का प्रचार किया था। सप्ताह के प्रथम दिन (रविवार) को प्राणियों के वध की कठोरता पूर्वक निषेधाज्ञा की, क्योंकि यह दिन सूर्य पूजा का है । तथा फरवरदोन महीने के पहले १८ दिनों में, सारे अबान महीने (जिस महीने में बादशाह का जन्म हुआ था) में तथा हिन्दुओं को खुश करने के लिये दूसरे कई दिनों में प्राणियों के वध का सख्त निषेध किया था। यह हुकम सारे राज्य में घोषित किया गया था। प्राज्ञा विरुद्ध बरताव करने वालों को दंड दिया जाता था। इससे बहुत परिवारों को दंडित किया गया तथा उनकी सम्पत्ति जब्त कर ली गई थी। इन उपवासों के दिनों में बादशाह ने एक धार्मिक तप के रूप में मांसाहार को एकदम (पूर्णतः) बन्द कर दिया था। धीरे-धीरे वर्ष में छह महीने तथा इससे भी अधिक कई उपवास इसी हेतु से बढ़ाता गया ताकि (प्रजा) मांस का धीरे-धीरे एकदम त्याग कर सके।"
बदाउनी ने ऊपर के वाक्य में जो 'हिन्दू' शब्द का प्रयोग किया है, इस हिन्दू शब्द से जैन ही समझना चाहिये क्योंकि पशुओं-पक्षियों के वध के निषेध करने में और जीवदया संबन्धी राजामहाराजापों को उपदेश देने में आज तक जो कोई प्रयत्नशील रहे हों तो वे जैन ही हैं। सुप्रसिद्ध इतिहासकार विसेन्ट स्मिथ भी अपनी अकबर नामक पुस्तक के ३३५ पृष्ठ में स्पष्ट लिखता है कि
“He cared little for flesh food, and gave up the use of it almost entirely in the later years of his life, when he came under Jain influence."
__ अर्थात्-मांस भोजन पर बादशाह को बिल्कुल रुचि नहीं थी। इसलिये इसने अपनी पिछली आयु में जब से वह जैनों के समागम में आया, तब से मांस भोजन को सर्वथा छोड़ दिया था।
___ इससे सिद्ध होता है कि बादशाह को मांसाहार छुड़ाने में तथा जीववध न करने में श्री हीरविजय सूरि तथा उनके शिष्य-प्रशिष्य आदि जैन उपदेशक ही सिद्धहस्त हुए हैं। डा० स्मिथ यह भी कहता है कि
“But Jain the holymen undoubtedly gave Akbar prolonged instruction for years, which--largely influenced his actions; and they secured his assent to their doctrines so far that he was reputed to have been converted to Jainism.
__अर्थात्-परन्तु जैन साधुओं ने नि:संदेह वर्षों तक अकबर को उपदेश दिया था। इस उपदेश का बहुत प्रभाव बादशाह की कार्यावली पर पड़ा था। उन्होंने अपने सिद्धान्तों को उससे यहाँ तक मना लिया था कि लोगों में ऐसा प्रवाद फैल गया था कि-"बादशाह जैनी हो गया है।"
1. Al-Badaoni. Translated by W.H. Lowe, M.A. Vol. II, P. 331. 2. Jain Teachers of Akbar by Vincent A. Smith.
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org