________________
(19)
४२६
४३२
४६६
४७०
४७५
४७५
विषय पृ० सं० । विषय
पृ० सं० (२) मुहपत्ति चर्चा
(५) शराबबंदी आदोलन, हरिजनों (३) जिनप्रतिमा को मानने और
के लिए सुविधाएं। ४६६ पूजने की चर्चा .
(६) राष्ट्र के नाम संदेश और २. गणि मुक्तिविजय (मूलचंद जी
जीवन की बाजी लगा दी ४६७ का परिचय
४३२ (७) संगठन के अग्रदूत ३. शांतमूर्ति वृद्धिचन्द्र जी का
() एकता की प्रत्यक्ष मूर्ति-गुरुपरिचय
भक्त वल्लभ ४. महातपस्वी मुनि श्री खांतिविजय
(९) अभिग्रहधारी, क्षमता, कार्यजी का परिचय
४३३
दक्षता ५. प्राचार्य श्री विजयानंद सरि
(१०) प्रवचन कौशल्य, संकटापन्न (मात्माराम) जी महाराज ४३३
देशवासियों की सहायता ४७१ ६. वीर परम्परा का अखंड प्रतिनिधित्व ४३४
(११) मध्यम वर्ग की सहायता व (१) श्वेतांबर परम्परा में विशेष
संक्रांति महोत्सव रूप से एवं दिगंबर व ४३५ (१२) प्रभावशाली प्राचार्य ४७५ स्थानकवासी परम्पराओं
(१३) खातरगच्छीय घनश्याम जी में कहाँ तक प्रतिनिधित्व है ४३५
की घटना ७. जैन इतिहास में महाराज श्री का
(१४) प्रापका शिष्यसमुदाय ४७८ स्थान और इसका कारण ४५१ (१५) आपके उपदेश से उपाश्रय (१) श्रद्धा बुद्धि एवं क्रांतिकारिता ४५१
धर्मशालाओं का निर्माण ४७६ (२) विरासत में वृद्धि व आपके
(१६) आप के द्वारा प्रतिबोधित राजा विषय में कुछ विद्वानों के
नवाब और देश के नेता ४८० अभिप्राय
(१७) जिनमंदिरों की प्रतिष्ठा व (३) विशेष ज्ञातव्य
४५२
अजन शलाका ८. प्रवर्तक कांति विजय जी को नोटबुक २. प्राचार्य श्री विजयसमुद्र सरि के आधार पर
(१) विशेष ज्ञातव्य अध्याय ७ प्रसिद्ध साधु-साध्वियां और श्रावक
(२) जिनशासन रत्न पदवी १. प्राचार्य श्री विजयवल्लभ सूरि ४५६
३. मुनि सागरविजय (१) महान शिक्षाप्रचारक एवं
४. आचार्य विजयेन्द्रदिन्न सूरि शिक्षा संस्थाएं स्थापित करने
(१) श्री हस्तिनापुर में पारणा का उद्देश्य
तथा कल्याणक मंदिर की (२) देशसेवक, समाज सुधारक,
प्रतिष्ठा
४८८ राष्ट्रपुरुष प्राचार्यश्री ४६३ (२) कांगड़ा तीर्थ पर नए मंदिर (५) अांदोलन खिलाफत
का निर्माण तथा तीर्थोद्धार ४८६ (४) बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय
(३) तपागच्छ पट्टावली ४८६ हिन्दू मुस्लिम एकता ४६५ ' ५. प्राचार्य श्री विजय कमल सूरि ४६१
४५२
४८१
ل
४५५
U SUSIS
سه
४८७
४८७
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org