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________________ १०६ मध्य एशिया भोर पंजाब में जैनधर्म पंजाब में जैनधर्म पंजाब का नामकरण तथा सीमा भारत में मुसलमानी शासन से पहले के किसी भी इतिहास तथा साहित्य में इस जनपद का नाम पंजाब नहीं पाया जाता। न ही मुग़ल सम्राों से पहले पंजाब नाम का कोई सूबा (प्रांत) था। अकबर के समय में लाहौर, मुलतान, सरहंद, बठिंडा ये चार सूबे थे । बाद में जब अकबर ने अपने राज्य का विस्तार किया तब इसके अधिकार का क्षेत्र और भी अधिक हो गया। पंजाब शब्द से भी ज्ञात होता है कि इस प्रदेश का पंजाब नामकरण मुसलमानों के काल में ही हुआ है । पंजाब शब्द फारसी और उर्दू भाषा के पंज+प्राब इन दो शब्दों से बना है। फारसी और उर्दू मुसलमानों की भाषा है । पंज का अर्थ है पांच और पाब का अर्थ है पानी (नदियाँ)। यानी जिस भूभाग (क्षेत्र) को पांच नदियों (जेहलम, चनाब, रावी, ब्यास और सतलुज) का पानी सिंचन करता है उसे पंजाब के नाम मे संबोधित किया जाने लगा। अंग्रेजों के राज्यकाल में रावलपिंडी से लेकर दिल्ली की सीमा तक और काश्मीर से करांची तक पंजाब और सिंध का विस्तार था। रावलपिंडी की उत्तर दिशा में लंडीकोतल तक पश्चिमोत्तर सीमाप्रांत का विस्तार था। यद्यपि जम्मू से लेकर तिब्बत की सीमा तक काश्मीर एक स्वतंत्र रयास्त थी जो कि अंग्रेजों के ही प्राधीन थी। प्राचीन साहित्य में इस प्रदेश का नाम वाहिक भी पाया जाता हैं । तक्षशिला भी वाहिक देश में था। महाभारत के कर्ण पर्व में अ. ४४ श्योल ७ पृष्ठ ३८१३ (गीता प्रेस गोरखपुर से प्रकाशित) में लिखा है कि "पंचानां सिन्धु षष्टना नदीनां ये अन्तराश्रितः वाहिकानाम देशः" (जेहलम, चनाब, रावी, ब्यास और सतलुज) पांचों नदियों तथा छठी सिन्धु नदी, इन छह नदियों के अन्दर प्राश्रित देश वाहिक नाम का देश है। इसके अन्दर १. गांधार, २. पुण्ड्र, ३. भद्र, जम्मू, पूंछ, स्यालकोट तथा इसका समीपवर्ती देश और ४. उशीनीर, ५. त्रिगर्त (जालंधर-कांगड़ा प्रदेश) ६. पार्वतिका, ७. कुलू अंचल (सहारनपुर से अम्बाला जिला तक) ८. सौवीर (जेहलम चनाब नदियों के संगम से ५० मील अधोभाग तक) ९. सिन्धु (सिन्धु नदी के पश्चित-पूर्व क्षेत्र के अधोभाग से कराची तक) १०. हरियाणा (पानीपत, सोनीपत, करनाल, कैथल, हिसार आदि से अंबाला तक का क्षेत्र), ११. काश्मीर (जम्मू पूंछ की उत्तर दिशा से तिब्बत की सीमा तक) उपर्युक्त छह नदियों और यमुना (इन सात नदियों) के अन्तर्गत (दिल्ली तक की सीमा वाले) क्षेत्र को अर्थात्-गांधार (पेशावर से लेकर) काश्मीर, सिन्धु, सौवीर, तथा वर्तमान मेरठ ज़िला तक के विस्तृत क्षेत्र को हम पंजाब देश मानकर - पंजाब में जैनधर्म के इतिहास पर प्रकाश डालेंगे। पाठक इस बात को अवश्य ध्यान में रखें । अतः पंजाब में पश्चिम पाकिस्तान (सिंध- पंजाब, सूबा सरहदी) काश्मीर, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, कुरुक्षेत्र प्रदेशों का समावेश है । कारण यह है कि पंजाब जनपद की सीमाएँ सदा एक जैसी नहीं रहीं। समय-समय पर बदलती रही हैं । इसलिये हमें इस देश की किसी एक सीमा को निर्धारण करना ही पड़ेगा। इसी बात को लक्ष्य में रख कर हमने उपर्युक्त (वाहिक देश की सीमा को स्वीकार किया है और इसी को लक्ष्य में रखकर लिखने का श्री-गणेश कर रहे हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003165
Book TitleMadhya Asia aur Punjab me Jain Dharm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Duggad
PublisherJain Prachin Sahitya Prakashan Mandir Delhi
Publication Year1979
Total Pages658
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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