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• चौबीस तिर्थखरो के कुल गणधर १४५२ होते है। उसमें १५४२ वे गणधर श्री इन्द्रभूति गौतमस्वामी का साहित्य सबसे ज्यादा उपलब्ध है । जैसे की, फुलक, अष्टक, स्तोत्र, रास, स्तुति आदि उनके ही है। उसी प्रकार प्रतिमाजी भी गौतम स्वामी की ही ज्यादा देखने को मिलती है। • वर्तमान काल में श्वेतांबर आम्नाय में गणधर गौतम स्वामी द्वारा प्रदत्त, जगचिंतामणि सूत्र और ऋषिमंडल स्तोत्र मुख्य देखने को मिलता है । मंदीरमार्गी साधु साध्वी, श्रावक, श्राविका को दैनिक आवश्यक क्रिया में जगचिंतामणी सुबह के प्रतिक्रमण में, पञ्चकखाण परने में, स्नात्रपूजा में साधु साध्वीजी को प्रथम गोचरी करने के बाद में, पौषधमें श्रावक श्राविकाओं को एकसणादिकरने के बाद में - चैत्यवंदन में बोला जाता है। • ऋषिमंडल स्तोत्र उपधान तप करनेवालो को प्रतिदिन सुनाया जाता है । कितने साधु साध्वी श्रावक श्राविका हर रोज यह स्तोत्र का पठन करते हैं इस स्तोत्र का मूल मंत्र का जाप करते है। अनेक विध संकट-विकट में मंत्र गर्भित यह स्तोत्र का विशिष्ट अनुष्ठान भी करते है। • तपागच्छ, खरतगच्छ, अंचलगच्छ, त्रिस्तुतिक मत आदि
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