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________________ कुंडलपुरमें उत्सव होवे, मुख बोले जयकार रे, धननन धननन घंटा बाजे, साथी करे थेइकार रे, शिष्यो मली बिरुदावली गाये, लाये मोती माल रे, चंदन चरची पाये लागे, स्वामी जीओ चिरकाल रे, ਤਸਰ आज... २ Jain Education Inter आज... ३ आज... ४ वीर प्रभु पासे संयम लेवे, पाले निरतिचार रे, जिस जिसके पर हाथ रखे वह, पामे केवल ज्ञान रे, * नाचो नाचो उमंगे सौ आज के मल्या : (राग - में तो भूल चली) नाचो नाचो उमंगे सौ आज के मल्या मने गौतम गुरू, म हे नाचु निशदिन तन मननी संगाथ के मल्या मने..... वीर प्रभुना गणधर वडेरा, पृथ्वी - वसुभूतिना नंद दुलारा, हो...हो.... बने लब्धिना महाभंडार, के मल्या मने.... गौतम स्वामीनो माहिमा छे भारी, तत्व मनीषी ज्ञानी अने ध्यानी, हो... हो... वीर विनयतो अपरंपार, के मल्या मने...... सूरिमंत्रमां गौतम बिराजे, पंच प्रस्थानोमां वडा कहावे हो... हो... तेना नामे अंतर मन हरखाय, के मल्या मने... ॥१॥ ॥२॥ 11311 Ene 11811 janelbrary.org
SR No.003164
Book TitleLabdhinidhan Gautamswami
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarshbodhivijay
PublisherAndheri Jain Sangh
Publication Year
Total Pages140
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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