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कामधेनु अने सुरतरुचंगे, चिंतामणि चिंतित दे मन रंगे, हो... हो... हवे करशुं आतमनो उद्धार, के मल्या मने... ॥५॥ - गौतमस्वामी को वंदन भावे किजिएरे
स (राग - वीर कुवरनी वातलडी) गौतमस्वामी को वंदन भावे किजिए रे, भावे किजिए रे, भावे किजिए, वंदन करके दुःख वमिये, महिमा अपरंपार... मागे
वीर प्रभुके गणधर पदपर पहेले, भक्तिके उमटे रेले, निशदिन प्रभु पास रहेते, अंतिम घडी वियोग गौतम...१ सूरिमंत्रमे गौतम बैठे बीच, तस लब्धिका नहीं माप, मनमे न रहे कोइ पाप, गुण गाये नरनार
गौतम...२ कंचनवर्ण सुंदर तस काय, ब्याणु वर्ष पाले आया पायें परम महोदय ठाय, सादि अनंत
गौतम...३ . तारक गौतम भावे हम कहते, नित्य उनकी छायामें रहते रहते तो सुखिये बनते, दुजो शरण न कोइला गौतम...४ आज अमारे संघमे तुम आओ, दुःख संकट को निवारो मेरे मनमे एकज नाद, रहे गौतम नाम
गौतम...५
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