________________
<> मारा नाथ छो भवमा साथ छी > मारा नाथ छो भवमा साथ छो, मारा हैयाना हार, शिरताज छो, भागे पाप पशु वनराज छो.... माणिक
गौतम प्रभुने दिलमां वसावो, व्याधि न कोइ तेने सतावे पल पल गौतम प्रभु गुण गावे, पाप पिशाचोने दूर भगावे
IPS मारा...१ मेघ बनो तो मस्त मयूर हु, पद्म बनो तो प्रेमी भ्रमर हुं माया सेवा चाहु भव भय हर हु, आव्यो छु तारे द्वारे फकीर हं
मारा...२ प्रीत करी में प्रभुजी तमारी, दुनिया लागी मुजने खारी। लागी मूरत तारी न्यारी प्यारी, मलके छ आजे आंखो मारी
लामारा...३ बोधि देजो भव भव स्वामी, हुं छु तेनो खूब खूब कामी शाश प्रेम भानु मुज अंतरयामी, अम सेवकने तुम प्रीति जामी
मारा...४ आज तो वधाइ ब्राह्मण वसुभूति के दरबारमें।
(राग - नगरी नगरी द्वारे) आज तो वधाइ ब्राह्मण वसुभूति के दरबारमें, पृथ्वी देवाए बेटो जायो, श्री इन्द्रभूति नामरे,
आज...१
Jain Education iterational
www.jainelibrary.org