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________________ + गुरु गौतम तेरी मूरतियाँ सोहे + (राग : पार्श्वचिंतामणी मेरो मेरो) गुरु गौतम तेरी मूरतियाँ सोहे, रुप अनुपम सुंदर छबिया दीसे चंद्र जैसी जैसी..... मुखडुं उज्ज्वल नयणे निहाले, चित्त पामे विसराम, विसराम, ग गुरु गौतम .....२ पूरव पुण्य थकी हम पाये, दीयो भवोभव सेवा, सेवा गुरु गौतम .... १ गुरु विनयसे लब्धि तव प्रगटे, हाथ मूके वरे ज्ञान, ज्ञान गुरु भोर थये नित्य दरिसण कीजे, तस घेर मंगल ल्हेरे, ल्हेरे गौतमस्वामी प्यारे गुरुवर (राग : निरंजन नाथ मोहे कैसे मिलेंगे) Jain Education of national गौतम... ३ Private & Personal Use Only गौतम... ४ गौतमस्वामी मेरे प्यारे गुरुवर, प्यारे गुरुवर मेरे प्यारे गुरुवर, गुब्बरगाँवमें जन्मभूमि है, पृथ्वी-वसुभूति के नंदन बने है जिल गुरु गौतम... ५ TA गौतम ....१ jainelibrary.org
SR No.003164
Book TitleLabdhinidhan Gautamswami
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarshbodhivijay
PublisherAndheri Jain Sangh
Publication Year
Total Pages140
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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