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________________ कुंडलपुरना जे हता निवासी, बन्या भुक्तपुरीना वासी प्रेमे चरणे राज रमता, धर्मसुखना घेबर जमता गावो...२ <> नुतन वर्षे गुणने गावू >> (राग : चांदकी दिवार) नुतन वर्षे गुणने गावू, वीर गौतमस्वामी रे, वीरना चरणे शिर झूकावी, थया जे जगनामी, नूतन... स्नेह होय तो आवो हो जो, भवभ्रमण मीटावी दे, (२) मान मूकी ज्ञान लीधु, गयुं अज्ञान सीधावी नूतन....१ परमपावन करुणानिधि गौतम, लब्धिना भंडार (२) नाम तमारु आनंदकारी, भवल भावठ हरनारु नूतन...२ सागर जेवू दिलडं तमारु, वात्सल्य जल उभरातु, (२) "प्रेमळ नयने सहुने निरखी, हालिकने बोध देता नूतन.....३ तो शुं प्रीत बंधाणी > (प्राचीन स्तवन) राग : मुज अवगुण मत देखो) तो शुं प्रीत बंधाणी, जगतगुरु तो शुं प्रीत शुं प्रीत बंधाणी वेद-अरथ कही मों ब्राह्मणमें कीधो नाणी.. जगतगुरु.. Jain Education Intermonal a te Po w er orga
SR No.003164
Book TitleLabdhinidhan Gautamswami
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarshbodhivijay
PublisherAndheri Jain Sangh
Publication Year
Total Pages140
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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