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________________ जेना नामे लब्धि ना निधान छे, नाकाम हाथ मूके त्या थाये केवलज्ञानरे कि शिष्योने जे शिवसुखडी चखावता विनयमूर्ति....१ . गुरुचरणे नम्र बनीने झूकता, शिष्य सवाया, राजलक्ष्मीने वरता, जैनं जयति नादने गुंजवता विनयमूर्ति....२ भन्ते कहीने प्रश्न वीरने पूछता, गोयमा सुणीने हर्ष पामता, आप कहो छो ते ज प्रभु सत्य छे विनयमूर्ति...३ ® मारी आजनी घडी छे रलियामणीजी रे (राग-१) मारी शेरीओथीकान कुंवर. २) मारी आजनी घडी.) मारी आजनी घडी छे रलियामणीजी रे, गुरु गौतम मल्यानी वधामणीजीरे, मारी... माजी मारी....१ अमे गौतम स्वामीना गुण गावता रे लोल, हे.... अमे लब्धितप भावे करताजीरे आसो पालवना तोरण बंधावीया रे लोल, हे.... सूरिमंत्रमां गौतम बिराजीयाजी रे मारी......२ Jain Education Instid
SR No.003164
Book TitleLabdhinidhan Gautamswami
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarshbodhivijay
PublisherAndheri Jain Sangh
Publication Year
Total Pages140
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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