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रुषभ चोराशी गणधर देव, अजित पंचाणुं करो नित्य सेव; श्री संभव ओकसो सुमति शिवपुरा वास
पद्मप्रभ अकसो सात श्वास, स्वामि सुपार्श्व पंचाणु जाण; चंद्रप्रभु त्राणुं चित्त आण
अठ्यासी सुविधि पुष्पदंत, अकाशी शीतल गुणवंत; श्रेयांस जिनवर छोंतेर सुणो, वासुपुज्य छासठ भवि गणो ॥ ४ ॥
विमलनाथ सत्तावन सुणो, अनंतनाथ पचास गुणो; तेंतालीश गणधर धर्मनिधान, शांतिनाथ छत्रीश प्रधान
कुंथु जिनेश्वर कहुं पांत्रीश, अरजिन आराधो तेंत्रीश; मल्ली अठ्ठाविश आनंद अंग, मुनिसुव्रत अष्टादशचंग
नमिनाथ सत्त संभाल, अकादश नमो नेमी दयाल; दश गणधर श्री पार्श्वकुमार, वर्धमान अकादश धार सर्व मली संख्याओ सार, चौदसो बावन गणधार; पुंडरीक ने गौतम प्रमुख, जसनामे लही अ बहु सुख
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प्रहउठी जपतां जयजयकार, ऋद्धि वृद्धि वांछित दातार रत्नविजय सत्यविजय बुधराय, तससेवक वृद्धिविजय गुणगाय.
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