________________
धन्य माता जेणे उदरे धरीया, धन्य पिता जिण कुळे अवतरिया; धन सद्गुरु जिणे दिक्खियाए; विनयवंत विद्याभंडार, जस गुण पुहवी न लभे पार, रिद्धि वृद्धि कल्याण करो (वड जिम शाखा विस्तरो ए)
॥५९॥
गौतमस्वामीनो रास भणीजे, चउविह संघ रलियायत किजे, सयल संघ आणंद करो। कुंकुम चंदन छडो देवरावो, माणेक मोतीना चोक जिला जात पुरावो रयण सिंहासन बेसणु ए
॥६०॥
तिहां बेसी गुरु देसना देसे, भविक जीवनां कारज सरसे, उदयवंत मुनि एम भणे ए। गौतम स्वामि तणो ए रास, भणतां सुणतां लीलविलास, सासय सुख निधि संपजे ए
॥६१॥
एह रास भणेने भणावे, वर मयगल लच्छि घर आवे, मन वंछित आसा फळे ए
का
मजा
॥६२॥
Jain Education Inter
anal
For-Private:Personali
Wanelibrary.org