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________________ शुभनाम जेनुं समरता सिद्धि वरे अम आंगणे ते गौतमस्वामी सदा मनवांछितो आपो मने. १०. प्रातः समयमा प्रति दिवस जे मुनिवरो आदर धरीश्री गौतमस्वामीनी आ स्तवना स्मरे भक्ति भरी पामे परमआनंद ते सौ श्रमण सूरीश्वर बने, ते गौतमस्वामी सदा मनवांछितो आपो मने. प्रभुनाम मंगल ठाम मंगल, जीवन मंगल जग तणुं छे ज्ञान मंगल, ध्यान मंगल, स्मरण करीओगौतम तणुं तजी अन्य काम त्रिसंध्य जे, गौतमतणा गुण गाय छे आनंद मंगल अजबरीते, अधिक त्यां उभराय छे. जे तीर्थ अष्टापद तणो, महिमा सुणी सुवक्त्र थी आकाशमां निज शक्तिओ, चडता अतुल भक्ति थकी चोवीश जिनवर चरण पंकज स्तवन कारण भावथी आपो सदा वंछित मने गौतम गुरू सुप्रभावथी उपदेश मधुरा सांभली, जस बोध पामी जन घणा संसार छोडी लेइ संयम ज्ञान के वलने वर्या जस पाणिपञ साचे केवल दाननी लब्धिवसी ते मंगलार्थे श्री गुरू गौतम तणा पदकज नमु. १३. Educatio n al Personal use only jainelibrary.org
SR No.003164
Book TitleLabdhinidhan Gautamswami
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarshbodhivijay
PublisherAndheri Jain Sangh
Publication Year
Total Pages140
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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