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४. छ? छ? तप करे पारj, चउनाणी गुणधाम,
ओ सम शुभ पात्र को नहि, नमो नमो गोयम स्वाम। ५. जेना लब्धि प्रभावथी, जगतमां, सर्वेच्छितो थाय छे, जेनुं मंगल नाम विश्वभरमां, षट्दर्शको गाय छे । जेना मंगल नामथी जगतमां, विघ्नो सदा जाय छे,
तेवा श्री गुरूगौतम प्रणमीओ, भावे सदा भक्तिथी॥ ६. सूरिमंत्रना आराधको प्रतिदिन तने संभारता,
आचार्यदेवो ताहरी पीठिका बहु आराधता मंत्राक्षरो दीधा जे जेणे, दिव्य सूरिमंत्रना
ते लब्धिधारी गणहरा, गौतमगुरुने वंदना ७. भंते वली भयवं कही महावीरने संबोधता
ज्ञानी छता प्रश्नो पूछी, आ ज्ञान सुहुने पमाडता वाणी वही जे वीरमुखथी, प्राप्त थइ प्रभुवाचना
ते लब्धिधारी गणहरा, गौतमगुरुने वंदना ८. गौतम तारो नेह करता, मुज अंतरनो मोह गल्यो, तत्पर थाता तुज भक्तिमां, हृदये तुज अनुराग भल्यो, मुक्तिमुक्ति कर अब तुज भक्ति, शक्ति अखूटी मांगी मलो, तेहथकी जिम तापसना तिम, मुज भवबंधन दूर टलो.
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