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२५. ॐ ह्रीँ नमो आसीविसभावणाणं (जेवोश्राप आपे तेवुं
थाय एवी)
२६. ॐ ह्रीँ नमो लोए सव्व सिद्धायणाणं (सर्व सिद्धभगवंतोने
नमस्कार )
२७. ॐ ह्रीँ नमो भगवओ महइ महावीर बड्ढमाण बुद्ध रिसीणं (वधती बुद्धिलक्ष्मी वालाने)
(निलाइ २८. ॐ ह्रीँ नमो सव्व लब्धिसंपन्न गोयमाइणं महामुणीणं (सर्व लब्धियुक्त गौतमादिमहामुनिओने नमस्कार करूं छु) गौतम गुरु वंदना
आर
१. जेनुं अद्भूत रूप निरखता, उरमां नहि आनंद समाय, जेना मंगल नामे जगमां, सघळा वांछित पूरण धाय, सुरतरु सुरमणि सुरघट करता, जेनो महिमा अधिक गणाय, ओवा श्री गुरु गौतम गणधर, पद पंकज नमु शीश नमाय । २. इन्द्रभूति अनुपम गुण भर्या, जे गौतमगोत्रे अलंकर्या, पंचशत छात्रशुं परिवर्या, वीर चरण लही भवजल तर्या ।
३. श्री इन्द्रभूति गणवृद्धिभूतिम्, श्री वीरतीर्थाधिप मुख्य शिष्यम्, सुवर्णकांति कृतकर्म शांतिम्, नमाम्यहं गोतम गोत्र रत्नम् ।
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