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________________ परिशिष्ट ६१ लिए अन्तर्राष्ट्रीय आदान-प्रदान करना, जहां दो या अधिक देशों के बीच तनावपूर्ण स्थिति अधिक उग्र होती चली जा रही हो । (४) मानव समाज के सभी वर्गों के समक्ष विश्व में हो रहे अन्यायों को उजागर करना । (५) शान्ति और अहिंसा के मंच पर खड़े सभी उम्मीदवारों को सहारा एवं सहयोग देना । (६) सैनिक सेवायें (सहारा) देने के बजाय नैतिक सहारा या समर्थन देने की उपयुक्त पृष्ठभूमि तैयार करना । (७) विश्व शान्ति ब्रिगेड का गठन, प्रशिक्षण और विशेषतः उस क्षेत्र में यथेष्ट उपयोग जहां दो या अधिक देश संघर्षरत हों । (८) अहिंसा और शान्ति के मंच से राजनीतिक प्रकियाओं का प्रयोग । (९) गरीबों के उन राजनीतिक/आर्थिक/सामाजिक कारणों का विनम्र भाव से निराकरण करना जो हिंसा को जन्म देने वाले हैं। (१०) विश्व के समस्त धार्मिक संगठनों के बीच समन्वय एवं विचार-विनिमय स्थापित करना, ताकि उनके द्वारा कोई हिंसात्मक कदम न उठाया जा सके । (११) विश्व के पर्यावरण को प्रदूषण से बचाने के लिए स्थानीय सफल शान्ति आन्दोलनों को प्रोत्साहन । ७. न्यायिक विश्व में अहिंसा और शान्ति का साम्राज्य स्थापित करने के लिए निम्नांकित न्यायिक प्रक्रियाओं का भी यथेष्ठ उपयोग किया जाए (१) असैनिक असहयोग संघर्षों में भाग लेने हेतु उपलब्ध संवैधानिक प्रतिरक्षात्मक उपायों का पता लगाना और विश्व - नागरिकता की संकल्पना का उपयोग करना । (२) मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा के परिप्रेक्ष्य में उचित तर्कों का लाभ लेते हुए किसी भी राजनीतिक संगठन में अपनी निष्ठा / आस्था रखने के अधिकार का प्रतिपादन एवं उसकी रक्षा करना । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003163
Book TitleVishwashanti aur Ahimsa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2003
Total Pages74
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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