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अहिंसा के प्रशिक्षण की आधारभूमि
६. अर्थार्जन में प्रामाणिकता का प्रशिक्षण । ७. संविभाग की मनोवृत्ति का प्रशिक्षण । ८. उपभोग की असीम लालसा के नियमन एवं उपभोग के सीमाकरण का
प्रशिक्षण। अहिंसक समाज अथवा स्वस्थ समाज की रचना के लिए शारीरिक, मानसिक, भावात्मक और आर्थिक स्वास्थ्य-सभी का योग जरूरी है। अहिंसा का प्रशिक्षण इन सब पर आधारित है।
अहिंसा प्रशिक्षण : आधार और प्रयोगभूमि
अहिंसा प्रशिक्षण की पद्धति का मौलिक आधार है अहिंसानिष्ठ व्यक्तित्व का निर्माण । उसकी प्रयोग-भूमियां चार है
१. पारिवारिक जीवन २. सामाजिक जीवन ३. राष्ट्रीय जीवन ४. अन्तर्राष्ट्रीय जीवन
प्रत्येक मनुष्य मानसिक और क्षेत्रीय सीमाओं में विभक्त है। अहिंसा के लिए विभक्त या अखण्ड व्यक्तित्व की अपेक्षा है । इस अपेक्षा की पूर्ति के लिए प्रशिक्षण को बहुआयामी करना होगा। व्यक्ति को छोड़कर केवल अहिंसक समाज रचना की बात सोचना एक बहुत बड़ी भ्रान्ति है । अहिंसक समाज की रचना की बात को छोड़कर केवल व्यक्ति को अहिंसक बनाने की बात सोचना भी भ्रम से परे नहीं है। व्यक्ति का निर्माण समाज-सापेक्ष और समाज का निर्माण व्यक्ति-सापेक्ष होता है। इन दोनों सध्वाइयों को ध्यान में रखकर ही अहिंसा के प्रशिक्षण की बात को आगे बढ़ाया जा
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द्वितीय अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन में आचार्य श्री महाप्रज्ञ का विशेष वक्तव्य ।
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