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________________ विश्व शान्ति और अहिंसा में । अहिंसा के प्रशिक्षण का पहला साधन-सूत्र है भाव-विशुद्धि । विधायक भाव हो, निषेधात्मक भाव न हो। इसके लिए शरीर और मन को प्रशिक्षित करना आवश्यक है । शारीरिक प्रशिक्षण के सूत्र शारीरिक प्रशिक्षण के सूत्र हैं- आसन और प्राणायाम | पद्मासन, शशांकासन, योगमुद्रा, वज्रासन, सर्वांगासन, मत्स्यासन, गोदोहिकासन आदि । आसन नाड़ीतंत्र और ग्रन्थितंत्र को प्रभावित करते हैं। इनके द्वारा हिंसा के शारीरिक उपादान क्षीण होते हैं। अनुलोम-विलोम, चन्द्रभेदी, नाड़ी शोधन, उज्जाई और शीतली आदि प्राणायाम शरीर में उपस्थित हिंसा के बीजाणुओं का विरेचन करते हैं। मानसिक प्रशिक्षण का सूत्र मानसिक प्रशिक्षण का सूत्र है- ध्यान । कायोत्सर्ग, दीर्घश्वास प्रेक्षा, समवृत्तिश्वास प्रेक्षा आदि ध्यान के प्रयोग मानसिक एकाग्रता के विकास में सहयोगी बनते हैं। चंचलता जितनी कम उतनी ही हिंसा कम । चंचलता जितनी अधिक हिंसा उतनी ही अधिक । भावात्मक प्रशिक्षण के सूत्र शारीरिक और मानसिक प्रशिक्षण से अधिक आवश्यक है भावात्मक प्रशिक्षण । उसके साधन-सूत्र हैं— चैतन्य केन्द्र का ध्यान और आभामण्डलीय लेश्या ध्यान । अनुप्रेक्षा के प्रयोग शारीरिक, मानसिक और भावात्मक - तीनों प्रशिक्षण पदों के लिए उपयोगी है। आधारभूमि प्रयोगभूमि यह अहिंसा के प्रशिक्षण की व्यक्तिगत पद्धति है । वास्तव में अहिंसा का प्रशिक्षण व्यक्ति के स्तर पर ही होता है। समाज के स्तर पर उसका प्रयोग होता है। यह कहने में कोई कठिनाई नहीं होगी कि अहिंसा के प्रशिक्षण की आधारभूमि है, व्यक्ति और प्रयोगभूमि है, समाज । हिंसा के लिए भी यही कहा जा सकता है— हिंसा की आधारभूमि है, व्यक्ति और प्रयोगभूमि है, समाज । अहिंसक समाज रचना का महत्वपूर्ण : Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003163
Book TitleVishwashanti aur Ahimsa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2003
Total Pages74
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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