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जीवन विज्ञान - जैन विद्या विद्यार्थियों ऊपर देखो आदि। खिलाड़ियों (विद्यार्थियों) द्वारा जब सांकेतिक शब्द के साथ आदेश मिले तब उस क्रिया को करना है, और जब कोरा आदेश मिले, तब कुछ नहीं करना है। निदेशक अपनी इच्छानुसार कभी सांकेतिक शब्दों के साथ, तो कभी कोरे आदेश देता रहेगा। जो विद्यार्थी जागरूकता पूर्वक आदेश सुनेंगे, वे कोरे आदेशों का पालन नहीं करेंगे, केवल सांकेतिक संबोधन के साथ दिए गए आदेशों का पालन करेंगे। इसमें जो भूल करेगा, वह आऊट हो जाएगा। अन्त में जो विजयी होगा, उसे अंक प्राप्त होगा। जो पहले पांच आदेशों में ही भूल कर देगा, उसे शून्य, जो दश आदेशों में भूल कर देगा, उसे 1 अंक, इसी प्रकार जो 25 आदेशों में भूल करेगा, उसे 4 अंक, आदि प्राप्त होंगे। जो अविजित रहेगा उसे 10 अंक प्राप्त होंगे।
(3) संख्या में जागरूकता
निदेशक द्वारा निर्धारित अंकों को बाद देकर संख्या का निर्दिष्ट पद्धति से उच्चारण करना । जैसे - जिसमें 7 का अंक हो या 7 का भाग जाता हो उसे छोड़कर बोलना। पहला एक बोलेगा, दूसरा दो, तीसरा तीन ऐसे छठा छः बोलेगा, सातवां यदि सात बोल जाता है, तो हारा हुआ माना जाएगा। सातवें को आठ बोलना होगा। आठवें को नव, नवें को दस ऐसे तेरहवें को पन्द्रह बोलना होगा, क्योंकि 14 में 7 का भाग जाता है। चौदहवें को सोलह, पन्द्रहवें को अठारह, ( क्योंकि 17 में 7 का अंक है ।) सोलहवें को उन्नीस आदि । सारे विद्यार्थी की बारी आने के बाद फिर पहले का नम्बर आएगा। इस प्रकार बोलते-बोलते जो रह जाए, वह जीतेगा। 1000 को पार कर देने वाला एक अंक, 2000 को पार करने वाला 2 अंक आदि प्राप्त करेगा। अविजित 10 अंक प्राप्त करेगा ।
4. एकाग्रता के विविध प्रयोग
(1) केवल दीर्घश्वास
चित्त को नथुनों में केन्द्रित कर दीर्घश्वास का अभ्यास करें। एक मिनट में अधिकतम 6 श्वास तक पहुंचे। (5 मिनट का प्रयोग )
(2) खेचरी मुद्रा के साथ दीर्घश्वास
जीभ को उलट कर तालू से लगा दें। चित्त को नथुनों के भीतर केन्द्रित कर दीर्घश्वास का अभ्यास करें। एक मिनट में अधिकतम 5 श्वास तक पहुंचे। (5 मिनट का प्रयोग)
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