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________________ १४८ जीवन विज्ञान : स्वस्थ समाज रचना का संकल्प नहीं गया, इधर आ गया और आपके सिर पर चोट लग गई। यह सही घटना है, अब चाहे सो करें। महाराजा ने तत्काल अपने सैनिक अधिकारियों से कहा-'इसे कुछ अशर्फियां दो और तत्काल छोड़ दो।' सब दंग रह गए कि यह कैसा दण्ड? यह भी कोई दण्ड होता है ? इसे तो फांसी की सजा होनी चाहिए। वे बोले नहीं। महाराजा ने कहा-'तुम नहीं जानते, पेड़ पर पत्थर फेंकने से पेड़ मीठा फल देता है। जब पेड़ भी मीठा फल देता है तो मैं क्या कड़वा फल दूंगा? यह कभी नहीं हो सकता। इसे इनाम देकर मुक्त कर दो।' यह कितनी प्रेरक घटना है ! इससे आदमी सोच सकता है कि जिसका दिमाग शान्त और संतुलित होता है वह किस प्रकार का निर्णय लेता है और किस प्रकार अहिंसा का विकास करता है। अगर दिमाग असंतुलित होता तो सीधा दण्ड दे देता कि जाओ, फांसी पर लटका दो, मार डालो। किन्तु संतुलित दिगाम वाले का निर्णय अहिंसा से ओतः- प्रोत होता है। ऐसी घटनाएं अहिंसा के लिए आदमी को प्रेरित करती हैं। अहिंसा के सिद्धांत अहिंसा के लिए प्रेरित करते हैं । अहिंसा का सिद्धान्त है-जो तुम स्वयं नहीं चाहते, दूसरों के लिए वैसा मत करो। तुम्हें सुख प्रिय है और दुःख अप्रिय है तो दूसरों को तुम दुःख मत दो, उन्हें भी कष्ट मत दो, उन्हें मत सताओ। यह सिद्धांत अहिंसा के लिए प्रेरित करता है। ये सिद्धांत और ये घटनाएं हमारे मस्तिष्क को झंकृत तो करती हैं, हमें अच्छी लगती हैं किन्तु हमारा बहुत साथ नहीं देती। एक बार सुना, मन में प्रेरणा जागी। सामने परिस्थिति आई तो घुटने टेक दिए, अहिंसा को विस्मृत कर बैठे। समस्या यह है कि आदमी केवल श्रवणप्रिय है। प्राचीन भाषा में श्रवण और आज की भाषा में कहें तो पठन, दोनों एक ही बात है। क्योंकि पुराने जमाने में गुरु कहता और शिष्य सुन लेता। लिखना नहीं होता था, अतः पढ़ने की बात नहीं थी। पुराने जमाने का सुनना और आज का पढ़ना दोनों सम हैं। श्रवण की अगली भूमिका है मनन । श्रवण और पठन-दोनों स्थितियों में जितना श्रवण होता है, उसका २०. प्रतिशत भी मनन नहीं होता, १० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003160
Book TitleJivan Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2008
Total Pages170
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Education
File Size7 MB
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