________________
जीवन विज्ञान : सर्वांगीण व्यक्तित्व विकास का संकल्प
११५
की अपेक्षाओं को पूरा नहीं किया जा सकता।
स्वस्थ समाज रचना के लिये स्वस्थ व्यक्तित्व के निर्माण की अपेक्षा होती है। व्यक्तित्व की समग्रता केवल बौद्धिक विकास में नहीं है। उसके लिये शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक विकास भी जरूरी है।
____.अंतःस्रावी ग्रन्थियों के स्राव व्यक्तित्व का संतुलन बनाए रखते हैं। मानसिक और भावनात्मक असंतुलन के कारण उन ग्रन्थियों के नाव असंतुलित हो जाते हैं। इस असंतुलन की स्थिति में स्वस्थ समाज की संरचना नहीं हो सकती। पाठ्यक्रम में मानसिक और भावनात्मक संतुलन के सूत्रों का समावेश नहीं है।
विद्यार्थी को जितना पढ़ाया जा रहा है उतना आवश्यक नहीं है और जो आवश्यक है वह पढ़ाया नहीं जा रहा है। आवश्यकता की कसौटी है जीवन से सम्बद्धता और समाज से प्रतिबद्धता । श्रम और चरित्र का जीवन से सीधा संबंध है। इतिहास भूगोल आदि का जीवन से सीधा संबंध नहीं है। एक छोटे विद्यार्थी को जितना इतिहास और भूगोल पढ़ाया जाता है उतना चरित्र या व्यक्तित्व निर्माण के बारे में नहीं पढ़ाया जाता। शिक्षक की विवशता है कि वह पाठ्यक्रम से हट कर पढ़ा नहीं सकता अथवा उसके पास अतिरिक्त समय नहीं है।
प्रत्येक व्यक्ति आनन्द या मस्ती का जीवन जीना चाहता है। शारीरिक श्रम से शारीरिक तनाव (फिजिकल टेन्सन), मानसिक श्रम से मानसिक तनाव (मेन्टल टेन्सन) और संवेग से भावनात्मक तनाव (इमोशनल टेन्सन) पैदा होते हैं। ये तनाव आनन्द या मस्ती को काफूर कर देते हैं। आनन्द अपने आपको भुलाए बिना, चिन्ता और चिन्तन से छुट्टी पाए बिना उपलब्ध नहीं हो सकता। इसी समस्या के आधार पर विद्यार्थियों में मादक वस्तुओं के सेवन की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है। यदि इसका विकल्प नहीं दिया गया तो मानसिक तनाव से ग्रस्त रहने वाला विद्यार्थी मादक वस्तुओं से बच सके, यह आज की स्थिति में कठिन लगता है।
सामाजिक जीवन व्यवहार में नैतिक मूल्यों के विपरीत प्रवृत्तियां देखने को मिलती हैं। एक विद्यार्थी विद्यालय में ईमानदारी का पाठ
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org