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नैतिकता की समस्या
महत्त्व मिल रहा है उतना महत्त्व चरित्र - निर्माण या समाज-व्यवस्था के घटकों के निर्माण को नहीं दिया जा रहा है, क्योंकि वे उस ओर ध्यान ही नहीं दे पा रहें हैं और उनके सामने इसका स्पष्ट चित्र भी नहीं है ।
भारत सरकार के शिक्षा मंत्री के.सी. पंत आचार्यश्री से मिले । शिक्षा के विषय में लंबी चर्चा चली। वे बोले, 'शिक्षा की बहुत बड़ी समस्या है। हम शिक्षा की प्रणाली को परिवर्तित करना चाहते हैं, लेकिन कोई मार्ग नहीं मिल रहा है। हमारे सामने स्पष्टता नहीं है । हम अनेक कोणों से सोच रहे हैं। हमने उन्हें जीवन विज्ञान की पद्धति से परिचित कराया। वे बोले-'यह तो बिलकुल नई बात है । अभी तक हमारे सामने कोई नई बात आई ही नहीं । आपने जीवन विज्ञान की नई बात सुझाई है। मैं भी विज्ञान का विद्यार्थी रहा हूं। मैं इस बात को बहुत गहराई से पकड़ रहा हूं। यह पद्धति हमारे लिए कार्यकर हो सकती है ।'
शिक्षामंत्री के साथ शिक्षा के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा चली । जीवन विज्ञान की पद्धति में उन्हें शिक्षा की समस्या का समाधान दीखने लगा ।
यह सब अनुभव कर रहे हैं कि सामाजिक व्यवस्थाओं को सुचारु रूप से चलाने के लिए कुछ तत्त्व अपेक्षित हैं । यह भी सब जानते हैं कि समाज की व्यवस्था और शिक्षा की व्यवस्था-इन दोनों में गहरा संबंध है। शिक्षा का काम है ऐसे व्यक्ति तैयार करना जो समाज- व्यवस्था के लिए प्रेरक बन सकें और उसको ठीक ढंग से चला सकें। जीवन विज्ञान की शिक्षा पद्धति में सैद्धान्तिकता कम है. और अभ्यास अधिक है। उसका समाज व्यवस्था से तालमेल हो सकता है।
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आज तीनों विकास एक साथ अपेक्षित है-बौद्धिक विकास, शिल्प कौशल और भावात्मक विकास । कमी है भावात्मक विकास की । इसके अभाव में दोनों विकास बहुत साथ नहीं देते।
आचार्यश्री दिल्ली में थे। वहां डॉक्टर कोठारी, केन्द्रीय विज्ञान समिति के अध्यक्ष तथा प्रयोगशाला के अध्यक्ष आदि पांच-सात व्यक्ति
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