________________
६० / नए मंदिर : नए पुजारी
रहा था। नाक-नक्श और डील-डौल से इसकी और उनकी वंश-परम्परा में भी तो कोई अन्तर नहीं लग रहा था । फिर यह घटना घटी तो क्यों घटी ?
बात छोटी-सी थी और हम उसपर बड़ी गहराई से विचार कर रहे थे । हमारे मित्र ने एक लम्बी सांस लेते हुए कहा - दोस्तों, यह विवाद भी एक सीमा विवाद ही था । बात राजनीति से जुड़ गई थी, अतः हमने जिज्ञासा प्रकट की कि आखिर इस सीमा विवाद का थोड़ा खुलासा किया जाय । हमारे मित्र पर भी जैसे अमल का नशा चढ़ गया हो। उन्होंने एक खास प्रकार से खांसकर कहना शुरू किया -
"दोस्तों, मेरे मकान की भौगोलिक स्थिति इस प्रकार की है कि इसके दोनों ओर दो गलियां हैं। दोनों ही गलियों में मेरे दो दरवाज़े खुलते हैं। दोनों पर कुत्तों की दो भिन्न-भिन्न पार्टियों का साम्राज्य है । इधर का कुत्ता उधर नहीं जा सकता और उधर का कुत्ता इधर नहीं आ सकता । पता नहीं, यह जगह नगर पालिका के अधिकार में है, प्रान्तीय सरकार के अधिकार में है या राष्ट्रीय सरकार के अधिकार में है, पर कुत्ते समझते हैं। कि वह उनके ही अधिकार में है । इसलिए अपनी-अपनी हद पर उनका अपना-अपना कब्जा है । वैसे मेरा मकान दोनों ओर को दो भागों में बांटता है, पर कभी-कभी जब दोनों ओर के दरवाज़े खुले रह जाते हैं तो सचमुच मेरा प्रांगन एक युद्ध क्षेत्र बन जाता है । शायद इसके पीछे रोटी का स्वार्थ जुड़ा हुआ है, पर मुझे लगता है कि रोटी से भी अधिक अधिकार की कोई अदृश्य डोरी है । इसलिए समय-समय पर उनका परस्पर संघर्ष चलता रहता है । दल परिवर्तन का तो कोई सवाल ही नहीं है, क्योंकि कोई एक-दूसरे के अधिकार क्षेत्र में आ जाता है तो वह मौत के घाट उतार दिया जाता है । दूसरे पक्ष के प्रति घृणा के भाव न जाने किस विधि से भर जाते हैं कि संघर्ष के क्षेत्र में छोटे-छोटे पिल्ले भी मोर्चे पर पर आकर डट जाते हैं । बल्कि कई बार तो लड़ाई की शुरुआत भी वे ही करते हैं। भौंकने में भी वे सबसे आगे रहते हैं अतः सामान्यतया इनके परस्पर मिलने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता ।
लगता है, आज पिछला दरवाज़ा खुला रह गया । सम्भवतः यह
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org