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________________ भूल खेलते-खेलते माधुरी और महेश अपने क्वार्टर के साथ लगी बगिया में चले गए। दोपहर का समय था। भयंकर गर्मी पड़ रही थी। सभी लोग अंदर क्वाटर में विश्राम कर रहे थे, पर माधुरी और महेश के बचपन को गर्मी कहाँ छू सकती थी ? स्कूल से आने के बाद उन्हें खिला-पिलाकर उनकी मम्मी सुशीला भी आराम करने लगी थी। सोते ही उसको नींद आ गई, पर माधुरी और महेश को नीद कहाँ आती? यद्यपि मम्मी ने उन्हें सो रहने के लिए कड़ी हिदायत कर दी थी। अत: वे एक बार लेट भी गए। कुछ देर सोने की कोशिश भी की, पर नीद नहीं आई तो उन्होंने आंखों ही आंखों में इशारे करने शुरू कर दिए । थोड़ी देर में महेश उठ कर दबे पांव बाहर निकल गया । माधुरी भी उठकर चुपचाप उसके पीछेपीछे बाहर आ गई। दोनों खेलते-खेलते बगिया में आ गए। ___बगिया में घास का कालीन बिछा हुआ था। गमलों में कुछ केक्टास लगे हुए थे, कुछ चमेली झाड़ लगे हुए थे, भांति-भांति की लताएं लगी हुई थी। कुछ ओम के पेड़ लगे हुए थे। एक गुलाव का पौधा लगा हुआ था। उस पर एक ही फूल आया हुआ था । माधुरी ने उसे देखा और बड़े प्यार से उसे सहलाते हुए कहा--अहा, कितना सुन्दर है यह फूल ! महेश ने उसे सूंघते हुए कहा-अहा ! कैसी मीठी है इसकी सुगन्ध । कल में इसे अपने कोट के रोजहाल में लगाकर स्कूल जाऊंगा। सारे लड़के मेरी ही ओर देखेंगे। माधुरी ने कहा-गर्मी में कहीं कोट पहनते हैं ? इसे तो कल में अपनी चोटी में लगाऊँगी। हमारी मिस हमेशा अपनी चोटी में ऐसा ही फूल लगाकर आती हैं । मुझे बड़ा अच्छा लगता है। Jain Education International For Private & Personal Use Only ___www.jainelibrary.org
SR No.003159
Book TitleNaye Mandir Naye Pujari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSukhlalmuni
PublisherAkhil Bharatiya Terapanth Yuvak Parishad
Publication Year1981
Total Pages138
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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