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ध्यान की दिशा बदलने के लिए एक भील ने राजा की काफी परिचर्या की। राजा को पानी पिलाया, खाना खिलाया, विश्रान्त राजा को पलंग पर सुलाया। राजा प्रसन्न हो गया। राजा ने कहा-कभी तुम मेरे राज्य की राजधानी में आना और मेरी सभा में आना। वह भील पूछता-पूछता एक दिन राजसभा में पहुंच गया। राजा ने सोचा-यह जंगल का उपकारी मनुष्य यहां आया है। मैं इसके लिए कुछ करूं। राजा ने उसके लिए नृत्य का आयोजन कर दिया। राजा ने सोचा-इसका मनोरंजन हो जाएगा। बेचारे ने कभी राजधानी नहीं देखी, कभी नृत्य नहीं देखा, यह सब देखकर खुश हो जाएगा। मनोरंजन की सारी व्यवस्था कर दी गई।
नर्तकी का नृत्य शुरू हुआ। वह भील दस-बीस मिनट तक देखता रहा और फिर बीच में ही उठ गया। उसके पास लोहे का एक चिमटा था। वह उसको गरम कर वापस राजसभा में आया। वह सीधा नाचती हुई नर्तकी के पास पहुंचा और उसके शरीर पर चिमटा दाग दिया। नर्तकी चिल्लाई। सभा में सन्नाटा छा गया। यह क्या हुआ? राजा भी देखता रह गया। राजा ने उस भील को बुलाकर पूछा-'अरे! तुमने यह क्या किया?'
भील ने उत्तर दिया-'महाराज ! मुझे ऐसा लगता है कि आपके राज्य में कोई चिकित्सक ही नहीं है। बेचारी शरीर को मरोड़ रही थी, पीड़ा भोग रही थी। मैंने देखा-दागने के सिवाय इसका कोई दूसरा इलाज नहीं है। इसको धनुष-टंकार की बीमारी हो गई है। यह बीमारी बिना दागने के मिटती नहीं है। मैंने अब इसका इलाज कर दिया है। आप देखिये-अब यह बिल्कुल शांत होकर बैठ गई है।
राजा के आकर्षण और भील की रुचि की भिन्नता का यह एक निदर्शन है। समान नहीं है रुचि
आकर्षण, रुचि और ध्यान-सब में समान नहीं होता। प्रत्येक व्यक्ति में एक रुचि है, ध्यान की वृत्ति है किन्तु हमें बदलना है रुचि को, आकर्षण की दिशा को। वह बदलेगी तो ध्यान की दिशा बदलेगी। जिस व्यक्ति ने ध्यान करके देखा, उसका अनुभव यह है कि ध्यान किया, दो मिनट नहीं हुए, उससे पूर्व ही दूसरी बात याद आ गई। मन की एकाग्रता टिकती नहीं है। प्रश्न होता है-हम आत्मा का ध्यान करते हैं, माला जपते हैं, उस समय ऐसी बातें क्यों याद आती हैं जो कभी याद नहीं आतीं? केवल उसी समय वे बातें याद आने लग जाती हैं। व्यक्ति को बड़ा अटपटा-सा लगता है। वह सोचता है ऐसा नहीं होना चाहिए। मैं सोचता हूं-ऐसा क्यों नहीं होना चाहिए? जब आपके भीतर रुचि वही है, आकर्षण वही है तो ध्यान में भी वही बात याद आएगी, दूसरी कौनसी बात याद आएगी? जिस ओर रुचि है, आकर्षण है, उसी ओर ध्यान जाएगा। एकदम आप
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