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तब होता है ध्यान का जन्म
उसको रुकना पड़ेगा। जब फाटक खुलेगा तब कार आगे बढ़ पाएगी। जितने फाटक बंद हैं, जितने स्पीड-ब्रेकर लगे हुए हैं, उन सबको पार करने के बाद रास्ता साफ होगा और हम अपने लक्ष्य तक पहुंच पाएंगे। साधना के क्षेत्र में लक्ष्य है आत्म-साक्षात्कार। छोटे ध्येय अनेक हो सकते हैं किन्तु सबसे बड़ा ध्येय है आत्मा की अनुभूति करना। मार्ग में अनेक स्पीड-ब्रेकर आएंगे, कहीं-कहीं बंद दरवाजे भी मिलेंगे, उन सबको पार कर वहां तक पहुंचने के लिए हमें अनेक साधनों, आलंबनों और कारकों का उपयोग करना पड़ेगा, करना चाहिए। वैसा करके ही हम अपने गंतव्य तक, महान लक्ष्य तक पहुंच पाएंगे।
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