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प्रकाशिका टीका - सप्तमवक्षस्कारः सू. २६ मासपरिसमापकनक्षत्रनिरूपणम्
'गोयमा' हे गौतम ! 'तिष्णि णक्खत्ता ति' त्रीणि नक्षत्राणि नयन्ति परिसमापयन्ति, तानि कानि त्रीणि नक्षत्राणि तत्राह - ' तं जहा ' इत्यादि, 'त जहा ' तद्यथा - 'चित्ता साई faucet' चित्रा स्वाती विशाखा, 'चित्ता चउदस राईदियाई णे३' चित्रानक्षत्रं ग्रीष्मकालिकद्वितीयस्य वैशाखमासस्य प्राथमिकानि चतुर्दश रात्रिंदिवं नयति-परिसमापयति 'साई पणरस राई दियाई णेई' स्वाती नक्षत्रं वैशाखमासस्य माध्यमिकानि पञ्चदश। त्रिंदिवं नयति परिसमापयति 'विसाहा एवं राई दिवं णेइ' विशाखा नक्षत्रं वैशाखमासस्य चरममेकं रात्रिंदिवं नयति - परिसमापयति तदेवानि त्रीणि चित्रा स्वाती विशाखानक्षत्राणि मिलित्वा वैशाखमासं परिसमापयन्ति तएव विशाखया परिसमापना दस्य मासस्य वैशाख इति नाम भवति । 'art अहंगुलपोरिसीए छायाए सूरिए अणुपरियहद्द' तदा वैशाखमा से खलु अष्टाङ्गुलपौरुष्या छाया सूर्योऽनुपर्यटते - अनुपरावर्तते इत्यर्थः । एतदेव दर्शयति- 'तस्स णं मासस्स' इत्यादि, 'तस्स णं मासस्स जे से चरिपे दिवसे' तस्य खलु वैशाखमासस्य योऽसौ चरमः के द्वितीय मास वैशाख मास को तीन नक्षत्र समाप्त करते हैं 'तं जहा' उन नक्षत्रों के नाम इस प्रकार से हैं- 'चित्ता, साई, विसाहा' चित्रा, स्वाति और विशाखा, इसमें 'चित्ता चउद्दस राईदियाई णेइ' चित्रा नक्षत्र ग्रीष्मकाल के वैशाख मास के प्राथमिक १४ रातदिनों को समाप्त करता है 'साई पण्णरस
इंदियाई इ' स्वाति नक्षत्र वैशाख मास के माध्यमिक १५ दिनों को समाप्त करता है 'विसाहा एग राईदिवं णेइ' और विशाखा नक्षत्र अन्त के एक दिनरात को समाप्त करता है इस तरह से ये तीन नक्षत्र मिलकर वैशाखमास को समाप्त करते हैं, विशाखा नक्षत्र द्वारा अन्त में परिसमाप्त होने के कारण इस मास का नाम वैशाख ऐसा हुआ है । 'तयाणं अड़ंगुलपोरिसीए छायाए सूरिए अणुपरियह' वैशाखमास के अन्तिम दिन में आठ अंगुल अधिक पौरुषीरूप छाया से युक्त हुआ सूर्य परिभ्रमण करता है इसी अभिप्रायसे सूत्रकारने 'तस्स णं मासगौतम ! श्रीष्मणना जील भास वैशाणभासते त्र नक्षत्र समाप्त ४रे छे. 'तं जहा ' तेभना नाम या प्रमाणे छे - 'चित्ता साई विसाहा' चित्रा स्वाति ने विशाखा, भां 'चित्ता चउदस राईदियाई णेइ' चित्रा नक्षत्र श्री भाणना वैशाणभासना प्राथभिः १४ रातहिवसाने समाप्त हुरे छे. 'साई पण्णरस राईदियाई णेइ' स्वाति नक्षत्र वैशामना माध्यमिक १५ दिवसाने समाप्त ४रे छे. 'विसाहा एगं राई दिवं णेइ' भने विशामाना નક્ષત્ર અન્તના એક દિવસરાતને સમાપ્ત કરે છે. આ રીતે આ ત્રણ નત્ર મળીને વૈશાખમાસને પરિસમાપ્ત કરે છે, વિશાખા નક્ષત્ર દ્વારા અન્તમાં પરિસમસ હોવાના કારણે આ માસનું નામ વૈશાખ એ પ્રમાણે થયુ છે. ' तयाणं अहंगुलपोरिसीए छायाए सूरिए अणुपरियट्टइ' वैशामभासना अन्तिम हिवसे या सांगण अधिक पो३षी३५ छायाथी युक्त थयेस सूर्य परिभ्रमण :रे छे, या अभिप्रायथी न सूत्ररे 'तस्स' णं मासस्स जे से
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