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जम्बूद्वीपप्राप्तिसूत्रे संवच्छरस्स कइ पन्या पन्नत्ता' प्रथमस्य खलु भदन्त ! चन्द्रसंवत्सरस्य कति पर्वाणि प्रज्ञप्तानि, हे भदन्त ! प्रथमस्य युग दौ प्रवृत्तस्य चन्द्रसंवत्सरस्य कति-कियत्संख्यकानि पर्वाणि पक्षरूपाणि प्रज्ञप्तानि-कथितानीति प्रश्नः, भगवानाह-'गोयमा' इत्यादि, 'गोयमा' हे गौतम ! 'चोवीसं पव्वा पन्नत्ता' चतुर्विंशतिः पर्वाणि प्रज्ञतानि, तत्र चविंशति श्चतुर्वि. शतिसंख्यकानि पर्वरूपाणि प्रज्ञप्तानि-कथितानि, प्रतिमासं पक्षद्वयसंभवेन द्वादशमासात्मके वर्षे चतुर्विंशति पर्वसंभवादिति । 'बिईयस्त णं भंते ! चंदसंवच्छरस्स कइपच्या पत्नत्ता' द्वितीयस्य खलु भदन्त ! चन्द्रसंवत्सरस्य कति पर्वाणि-कियत्संख्यकानि पर्वाणि पक्ष रूपाणि प्रज्ञप्तानि-कथितानीति प्रश्नः, भगवानाह-'गोयमा' इत्यादि, 'गोयमा' हे गौतम ! 'चउव्वीसं पव्या पन्नत्ता' चतुर्शितिः पर्वाणि प्रज्ञप्तानि-कथितानि प्रतिमासं पर्वद्वयसंभवेन द्वादशभासात्मके वर्षे चतुर्विंशति पर्वाणां संभादिति ‘एवं पुच्छा तईयरस' एवं पृच्छा तृती. यस्याभिवद्धितनामकसंत्सरस्य, हे भदन्त ! तृतीयस्याभिवद्धितनामकसंवत्सरस्य खलु कति पर्वाणि प्रज्ञप्तानीति पृच्छया संगृह्य ते प्रश्नः, भगवामाह-'गोयमा' इत्यादि, 'गोयमा' गौतमस्वामी प्रभु से 'पढप्तस्स णं ते ! चंदसंवच्छरस्त कहपव्वा पन्नत्ता' इस सूत्रद्वारा पूछते हैं हे भदन्त ! प्रथम चन्द्रसंवत्सर के कितने पर्व-पक्ष होते हैं ? इसके उत्तर में प्रभु कहते हैं-'गोयमा! चोवीसं पचा पन्नत्ता' हे गौतम ! प्रथम चन्द्र संवत्सर में चौबीस रक्ष होते हैं। क्योंकि हर एक मासमें दो पक्ष होते है और वर्ष १२ मासका होना है अतः १ वर्ष में २४ पर्व होते हैं यह कथन सध जाता है
'बिईयस्स णं भंते ! चंदसंबच्छरस्सका पब्वा पन्नत्ता' हे भदन्त ! द्वितीय चन्द्र संवत्सर के कितने पक्ष होते हैं ? इसके उत्तर में प्रभु कहते हैं-'गोधमा ! च उव्वीसं पव्वा पन्नता' हे गौतम ! द्वितीय चन्द्र संवत्सर के २४ पक्ष होते हैं। 'एवं पुच्छा तईयरस' इसी तरह की पृच्छा जो अभिवद्धित नामका तृतीय संवत्सर है उसके सम्बन्ध में गोतमस्वामीने की है-तथाच हे भदन्त जो तृतीय अभिवति नामका संवत्स है उसके कितने पक्ष होते हैं ? इसके उत्तर में प्रभु चंदसंवच्छरस्स कइ पव्या पन्नता' मा सूत्र 3 पूछे ४-3 मत ! प्रथम यन्द्रसवत्सरना Beau - डाय छ ? अन पासमा प्रभु ई छ-'गोयमा ! चोवीसं पव्वा पन्नत्ता' હે ગૌતમ ! પ્રથમ ચન્દ્રસંવત્સરમાં ૨૪ પક્ષે હોય છે. કેમકે દરેક માસમાં બે પક્ષો હેય છે અને એક વર્ષમાં ૧૨ માસ હોય છે. એથી ૧ વર્ષમાં ૨૪ પર્વો હોય છે. આ કથન દ્ધિ થઈ જાય છે. ___ बिई यस्स णं भंते ! चंदसंवच्छरस्स कइ पव्वा पन्नत्ता' मत ! द्वितीय सवत्स. २ ९॥ पक्षी डाय छ ! सेना वासभा प्रभु ४३ थे-'गोयमा ! चउव्वीसं पव्वा पन्नत्ता'
गौतम ' द्वितीय यस वत्स२॥ २४ ५। डाय छे. 'एवं पुच्छा तईस्स' मा तनी પૃચ્છા- અભિવદ્ધિ ત નામક તૃતીય સંવત્સર છે, તેના સંબંધમાં ગૌતમસ્વામીએ પ્રભુશ્રીને કરી છે, તથા ચ હે ભદંત ! જે તૃતીય અભિરદ્ધિત નામક સંવત્સર છે, તેના કેટલા પક્ષો
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