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जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति
जाव आसाढे' श्रावण भाद्रपदः आश्विनो यावदापाठः, अत्र यावत्पदेन कार्तिकमार्गशीर्ष पौष माघफाल्गुन चैत्र वैशाखज्येष्ठमासानां संग्रहो भवति, अयमर्थः अत्र खलु सकल नक्षत्रयोगपर्याय: द्वादश संख्यया गुणितो नक्षत्रसंवत्सरः ततः श्रावणादि द्वादश सकनक्षत्रयोगपर्यायाः श्रवणादारभ्य आषाढान्तनामान: तेऽपि अवयवे समुदायोपवारात् नक्षत्र संवत्सरः ततः श्रावणादि द्वादशविधो नक्षत्र संवत्सर इति, एवं भाद्रपदादारभ्य श्रावणान्तो वर्षोभाद्रपदवर्षः एवमाश्विनादारभ्य भाद्रपदान्तः कार्त्तिकादारभ्य आश्विनान्त इत्यादि, क्रमेण आषाढान्त वर्षो ज्ञातव्यः ।
अथवा प्रकारान्तरेण नक्षत्र संवत्सरस्य निर्वचनं कर्तुमाह - 'जं वा' इत्यादि, 'जं वा बिहफ महग्गहे' यद्वा बृहस्पति बृहस्पति नामको महाग्रहः 'दुवालसेहिं संगच्छरेहिं' द्वादआसाढे' श्रावण, भाद्रपद, आश्विन, कार्तिक, मार्गशीर्ष, पौष माघ, फाल्गुन, चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, और आषाढ सकल नक्षत्रों के योग की पर्याय कि जो १२ से गुणित की जाती है नक्षत्र संवत्सर कही गई है श्रावणादि १२ नक्षत्रों की योग पर्यायों के नाम श्रावण से लेकर आषाढ तक के महिनों के नामवाली है इसलिये वे अवयवों में समुदाय के उपचार से नक्षत्र संवत्सर इस नाम से कहा जाता है इस तरह नक्षत्रसंवत्सर श्रावणादि के भेद से १२ प्रकार का कहा गया है भाद्रपद से लेकर श्रावण तक के महिनों में अन्त को प्राप्त हुआ वर्ष भाद्रपद वर्ष, आश्विन से लेकर भाद्रपद तक के महिनों में अन्त को प्राप्त हुआ वर्ष आश्विन वर्ष, कार्तिक से लेकर आश्विन तक के महिनों में समाप्त हुआ वर्ष कार्तिक वर्ष इत्यादि क्रम से आषाढान्त तक के सब वर्ष जानना चाहिये अथवा प्रकारान्तर से नक्षत्र संवत्सर का निर्वचन करते हुए सूत्रकार कहते हैं कि 'जंवा बिष्फ६ महग्गहो दुवाललेहिं संच्छरेहिं सव्वनक्खसमंडलं समाणेह 'तं जहा' ?भडे 'सावणे, भद्दवर, आसोए, जब आसाढें श्रावण, भाद्रयत्र, अश्विन, अर्तिष्ठ, भार्गशीर्ष, पौष, माघ, शगुन, चैत्र, वैशाण, भ्येष्ड भने आषाढ सम्स નક્ષત્રાના યાગની પર્યાય કે જે ૧૨ સાથે ગુણિત કરવામાં આવેલ છે-તેને નક્ષત્ર સંવત્સર કહેવામાં આવેલ છે. શ્રાવદિ ૧૨ નક્ષત્રના રાગ પર્યાયાના નામેા શ્રાવણથી માંડીને આષાઢ સુધીના માસેાની નામાવલી પ્રમાણે છે. એથી અવયવમાં સમુદાયના ઉપચારથી તેને નક્ષત્ર સવત્સર આ નામથી કહેવામાં આવેલ છે. આ પ્રમાણે નક્ષત્ર સ ́વત્સર શ્રાવણાદિના ભેદથી ૧૨ પ્રકારના કહેવામાં આવેલ છે. ભાદ્રપદથી માંડીને શ્રાવણ સુધીના મસામાં સમાપ્ત થયેલ વભાદ્રપદ વ તથા આશ્વિનથી માંડીને ભાદ્રપદ સુધીના માસેામાં સમાસ થયેલ વર્ષ આશ્વિનવ અને કાતિક મહીનાથી આરભી અશ્વિન સુધીના માસાનાં સમાસ થયેલ વર્ષ કાર્તિક વ વગેરે ક્રમથી આષાઢાન્ત સુધીના બધા વર્ષે વિશે પણ જાણવું लेऽथे. अथवा प्रारान्तरथी नक्षत्र स ंवत्सरनु निर्वाचन हरतां सूत्रहार ४ छे है- 'जंवा
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