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________________ प्रकाशिका टीका-चतुर्थवक्षस्कारः सू० २९ द्वितीयविदेहविभागनिरूपणम् उत्तर नदी 'महावच्छे' महावत्सः-महाक्त्सनामा 'विजए' विजयः 'अपराजिया' अपरा. जिता-अपराजितानाम्नी रायहाणी' राजधानी ३ 'वेसमणकूडे' वैश्रवणकूट:-वैश्रवणकूटमामा 'वक्खारपत्रए' वक्षस्कारपर्वतः 'वच्छावई विजए' वत्सावती विजयः 'पभंकरा' प्रभ. रा-प्रभङ्करा नाम्नी 'रायहाणी' राजधानी ४ 'मत्तजला णई' मत्तजला नदी 'रम्मे विजए' रम्यः रम्यनामा विजयः 'अंकावई रायहाणी' अङ्कायती राजधानी ५ 'अंजणे' अञ्जन: अञ्जननामा 'वक्खारपवए' वक्षस्कारपर्वतः 'रम्मगे' रम्यका-रम्यकनामा 'रिजए' विजयः 'पम्हावई' पक्षमावती-पक्ष्मावतीनाम्नी 'रायहाणी' राजधानी ६, 'उम्पत्तजला महाणई उन्मत्तला उन्मत्त जलानाम्नी महानदी रिमणिज्जे' रमणीय:-रमणीयनामा 'विजए' विजयः 'सुभा' शुभा-शुभानाम्नी 'रायहाणी' राजधानी ७ 'मायंजणे' मातञ्जन:--मातनमनामा 'चक्खारपव्यए' वक्षस्कारपर्वत : 'मंगलावई विजए' मङ्गलावती-मङ्गलावतीनामकः जैसा है । त्रिकूड नाम का वक्षस्कार पर्दत है सुवत्स विजय है, कुंडला नामकी यहां राजधानी है और तप्लजला नाम की नदी है महावत्स नामका विजय है अपराजिता नाम की राजधानी है (एवं वेतमणकूडे वखारपव्वए) वैश्रवण कूट नामका वक्षस्कार पर्वत है (वच्छावई विजए पभंकरा रायहाणी) वत्सावती विजय है और इसमें प्रभंझरा नामकी राजधानी है (मत्तजला गई) मत्तजला नाम की नदी है (रम्मे विजए, अंकाचई रायहाणी ५ अंजणे वक्खारपव्वए) रम्य नाम का विजय है, अङ्कावती नाम की इसमें राजधानी है अंजन नाम का वक्षस्कार पर्वत है (रम्मगे विजए पम्हावई रायहाणी ६ उन्मत्तजला महाणई) रम्यक नान का विजय है, पद्मावती नामकी इसमें राजधानी है और उन्मत्त जला नामको नदी है (रमणिज्जे विजय सुभा रायहाणी ७ मायंजणे वक्खारपचए) रमणीय नाभका विजय है शुभा नामही राजभानी है और मातञ्जन नाम का वक्षस्कार पर्वत है (मंगलादई विजए रयणंसचया रायहाणी ८) मंगलावती અહીં ચિત્રકૂટ નામે વક્ષસ્કાર પર્વત છે અને સુવત્સ વિજય છે અહીં કુંડલા નામક રાજધાની છે અને તપ્તજડા નામ ની છે. મહાવરા નામક વિજ્ય છે અને અપરાGral नाम २धानी छे. 'एवं वेसमा कूडे वखारपयए' पर छूट नाम वक्ष२४.२ ५त छ. 'वच्छावई विजए पकरा रायहाणी' परसाती विनय छ भने मां प्रम ४२॥ नाम पानी छे. त्तजला गई' भत्ता नाम नही छे. 'रम्मे विजए, अंकावई रायहाणी ५ अंजणे वग्वारपच्चए' २५ नाम विय, वती नामे मां राधानी छे. सन नाम ५१२४१२ पति छ. 'रम्मगे विजए पम्हावइ रायहाणी ६ उम्मत्तजला महाणई' २.५४ नाम विशय छे. भापती नाम सभा २४ानी छ भने उन्मत्त ren नाम नही छे. 'रमणिज्जे विजए सुभा रायहाणी ७ मायंजणे वक्खारपव्वए' ૨મણુંય નામક વિજય છે. શુભા નામક રાજધાની છે અને માતંજન નામક વક્ષસ્કાર ज०४९ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003155
Book TitleAgam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Part 02 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherJain Shastroddhar Samiti Ahmedabad
Publication Year1977
Total Pages798
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_jambudwipapragnapti
File Size24 MB
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