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प्रकाशिका टीका-चतुर्थवक्षस्कारः सू० २२ नीलवन्तादिह्रदर्णनम्
२५९ :-विस्तारयुक्तः, तस्य च 'जहेव पउमदहे' यथैव पद्महदः 'तहेव वण्णो णेययो' तथैव वर्णको नेतव्यः-ग्राह्यः, 'णाणत्त' नानात्वं-विशेषश्चायम्-'दोहिं पउमवरवेइयाहिं दोहि य वणसंडेहिं संपरिक्खित्ते' द्वाभ्यां पद्मवरवेदिकाभ्यां द्वाभ्यां च वनषण्डाभ्यां संपरिक्षिप्तःपरिवेष्ठितः,-अयं भावः- पद्महदस्तु एकया पद्मपरवेदिकया एकेन च वनषण्डेन सम्परिक्षिप्तः, अयं नीलवान् हदस्तु द्वाभ्यां२ ताभ्यां सम्परिक्षिप्तः सोतामहानद्या द्विभागीकृतत्वेन उभयपार्श्ववति वेदिकाद्वययुक्तत्वात् , अत्र ‘णीलवंते णामं णागकुमारे देवे' देवश्च नीलवान् नागकुमारः इति विशेषः 'सेसं तं चेव' शेषं तदेव पद्महदोक्तमेव 'णेयव्वं' नेतव्यम्-ग्राह्यम्, पद्मादिकं शेष पद्मदवबोध्यम् , तन्मानसंख्या परिक्षेपादिकं च तथैव । ___ अथ काञ्चनगिरिव्यवस्थामाह-‘णीलवंतद्दहस्स' इत्यादि-'णीलवंतदहस्स पुवावरे' हृदका वर्णन 'जहेव पउमद्दहे' इस कथनानुसार पद्महृद के वर्णन के समान 'तहेव वण्णओ जेयत्वों' उसका वर्णन समझलेवे' 'णाणत्तं' उसवर्णन एवं इस वर्णन में जो विशेषता है वह इस प्रकार है 'दोहिं पउमवरवेइयाहिं दोहिय वणसंडेहिं संपरिक्खित्ते' यह हृद दो पद्मवर वेदिका और दो वनषंडसे परिवेष्टित है । कहने का भाव यह है कि पद्महृद एक पद्मवरवेदिका और एक वनषण्ड से परिवेष्टित है तब की यह नीलवंत हृद दो पद्मवर वेदिका एवं दो वनषंडसे परिवेष्टित है। सीता महानदी का दो भाग करने से दोनों पार्श्ववर्ति दो वेदिका युक्त होने से दो दो कहा है। ___यहां पर 'नीलवंते नागकुमारेदेवे' नीलवान नामका नागकुमारदेव है यह विशेष है 'सेसं तं चेव' अन्य सब कथन पद्महृद् के समान ही 'णेयत्वं' कहना चाहिए, पद्मादिक शेष सब कथन पद्महृद के समान ही समझलेवें, उसका मान परिक्षेप आदि भी उसी प्रकार है । पूर्व पश्चिम दिशा त२५ विस्तारवा छे. ते नुवर्णन 'जहेव पउमदहे' थे 3थन प्रमाणे पाहना पणन स२ छ. 'तहेव वण्णओ णेयव्वो' तेनु न समय से 'णाणत्तं' ये पाणन भने । पाणुनमा २ विशेषता छ ते या प्रमाणुनी छे. 'दोहिं पउ. मवरवेइयाहिं दोहिय वणसंडेहिं संपरिक्खित्तो' हो ५१२ at सनसे पनप थी વીંટળાયેલ છે. કહેવાને ભાવ એ છે કે–પડ્યહુદ એક પદ્મવર વેદિકા અને એક વનણંડથી વીંટળાયેલ છે. અને નીલવંત હદ બે પાવર વેદિકા અને બે વનખંડથી વીંટળાયેલ છે, સીતા મહા નદીના બે ભાગ કરવાથી બન્ને બાજુથી બે વેદિકા યુક્ત હવાથી બલ્બ કહેલ છે.
दीया नीलवंते नाम नागकुमारे देवे' नीतवान् नाभना नाममा२ हेव छ. सेट विशेष छे. 'सेसं त चेव' भी तमाम ४थन पहना ४थन सरभु ४ 'णेयव्वं' ही લેવું પદ્માદિક બાકીનું તમામ કથન પદ્મદના સરખું જ સમજી લેવું, તેનું માપ પરિક્ષેપ વિગેરે પણ એજ પ્રમાણે છે.
ज० ३२
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