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प्रकाशिका टीका तृ पक्षस्कारः सु.७ मागधातीर्थाधिपतेः भरतं प्रत्युपस्थानीयार्पणम् ५९९ गिण्हित्ता ताए उक्किट्ठाए तुडियाए चवलाए जयणाए सीहाए सिग्घाए उडुयाए दिवाए देवगईए वीईवयमाणे वीईवयमाणे जेणेव भरहे राया तेणेव उवागच्छद उवागच्छित्ता अंतलिक्खपडिवण्णे सखिखिगीयाइं पंच वण्णाई वत्थाई पवरपरिहिए करयलपरिग्गहियं दसणहं सिर जाव अंजलि कट्टै भरहं रायं जएणं विजएणं वद्धावेत्ता एवं वयासी अभिजिएणं देवा णुप्पिएहिं केवलकप्पे भरहे वासे पुरथिमेणं मागहतित्थमेराए तं अहणं देवाणुप्पियाणं विसयवासी अहणं देवाणुप्पियाणं आणत्ती किंकरे आहण्णं देवाणुप्पियाणं पुरथिमिल्ले अंतवाले तं परिच्छंतु णं देवाणुप्पिया ! ममं इमेयाख्वं पीइदाणं त्तिक? हारं मउडं कुंडलाणि य कडगाणि य जाव मागहतित्थोदगं च उवणेइ, तएणं से भरहेराया मागहतित्थकुमारस्स देवस्स इमेयारूवं पीइदाणं पडिच्छइ पडिच्छित्ता मागहतित्थकुमारं देवं सक्कारेइ सम्माणेइ सक्कारेत्ता सम्माणेत्ता पडिविसज्जेइ तएणं से भरहे राया रहं परावत्तेइ, परावत्तेत्ता मागहतित्थेगं लवणसमुद्दाओ पच्चुत्तरइ पच्चुत्तरित्ता जेणेव विजयखंधावाणिवेसे जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता तुरए णिगिण्हइ णिगिण्हित्ता रहं ठवेइ ठवित्ता रहाओ पच्चोरुहइ पच्चोरुहिता जेणेव मज्जणघरे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता मज्जगघरं अगुपविसइ अगुपविसित्ता जाव ससिव्व पियदंसणे णखई मज्जणघराओ पडिणिक्खमइ पडिणिक्खमित्ता जेणेव भोयणमंडवे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता भायणमंडवंसि सुहासणवरगए अट्ठमभत्तं पारेइ पारित्ता भोयणमंडवाओ पडिणिक्खमइ पडिणिक्खमित्ता जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला जेणेव सीहासणे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता सीहासणवरगए पुरत्थाभिमुहे णिसीयइ णिसोइत्ता अठारस सेणिप्पसेणीओ सहावेइ सदवित्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया! उस्सुक्कं उक्करं जाव मागहतित्थकुमारस्स देवस्स अट्टाहियं महामहिमं करेइ करित्ता मम एयमाणित्तियं
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