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________________ २७४ जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्रे हिमा माहात्म्यं येभ्यस्ते तशाभूतः 'पण्णत्ताः' प्रज्ञप्ताः । पुन गीतमस्वामी पृच्छति ‘अत्थिण भंते तीसे समाए भरहे वासे णडपेच्छाइ वा' हे भदन्त अस्ति खलु तस्यां समायां भरते वर्षे नट प्रेक्षेति वा नटप्रक्षा नटानां क्रीडाकारिणां प्रेक्षा नटकृत कौतुक दर्शनाय जनमेलक इत्यर्थः 'नट्टपेच्छाइ' नाटयप्रेक्षेति वा नाट्यप्रेक्षा नाटय नटकर्म अभिनयः तदर्शनाय जनमेलक इति 'जल्लपेच्छाइ वा जल्ल प्रेक्षित जल्लप्रेक्षा जल्ला वरत्र खेलकाः तत्कृतकौतुकदर्शनाय सम्मिलितो जनसमुदाय इत्यर्थः ‘मल्लपेच्छाइ वा' मल्लप्रेक्षेति बा मल्लाः भुजाभ्यां युद्धकारकः तत्त्कृतबाहु युद्धदर्शनाय समुदिता जना इत्यर्थः। 'मुट्ठियपेच्छाइ वा' मौष्टिक प्रेक्षेति वा मौष्टिकाः मुष्टिभिर्युद्धकारका मल्लः तत्कृतकौतुक दर्शनाय सम्मिलितो जनसमूह इत्यर्थः । 'कहगपेच्छाइ वा' कथक प्रेक्षेति कथकप्रेक्षा-कथका:-कथाकारिणः ये हि सुललितकथावाचनेन श्रोतृजनानां हृदि रसमुत्पादयन्ति तत्कृत कथा श्रवणाय समागतो जनसमुदायइति 'पवगपेच्छाइ वा' प्लवक प्रेक्षेति वा प्लवकप्रेक्षाः-प्लवका उत्प्लुत्य ये गर्ताप्रकार के उत्सव करने को भावना दूर रहा करती है ऐसे ही होते हैं । “अत्थि णं भंते तीसे समाए भरहे वासे णडपेच्छाइ वा णट्टपेच्छाइ वा, जल्लपेज्छाइ वा, मल्लपेच्छाइ वा मुट्ठियपेच्छाइ वा वेलवगपेच्छाइ वा कहगपेच्छाइ वा पवगपेच्छाइ वा लासगपेच्छाइ वा' हे भदन्त उस सुषम सुषमा काल के समय में भरत क्षेत्र में क्या नटों के खेल तमाशों के देखने के लिये मनुष्यों के मेले होते है ? नाट्य-नट कर्म अभिनय आदि को देखने के लिये मनुष्य के मेले होते हैं क्या ? जल्ल वर्त पर नाना प्रकार के खेल तमाशे दिखाने वालों के कौतुको को देखने के लिये मनुष्यों के मेले होते है क्या ? अर्थात् वहां मनुष्य एकत्रित होते है क्या ! मल्लों द्वारा किये गये वाहुयुद्ध को दे खने के लिये मनुष्य एकत्रित होते हैं क्या ? मनुष्य द्वारा युद्ध करने वाले मल्लजनों के कौतुको को देखने के लिये मनुष्य एकत्रित होते है क्या? मुखविकार आदि द्वारा मनुष्यों को हसाने वाले विदूषक जन के कौतुक को देखने के लिये मनुष्य एकत्रित होते हैं क्या ? तथा सुललित कथा के वाचने से श्रोत्ता जनो के हृदय में रस उत्पन्न कराने वाले कथक पुरुषों के द्वारा वाची गई कथा को सुनने के लिये मनुष्य एकत्रित होते है क्या ? तथा प्लवकजनों के खड़्ढे आदि को लांधकर डाय छ ४२४ ततना उत्सव। योपानी भावनासाथी सा२ २ छ. 'अत्थि णं भंते तीसे समाए भरहे वासे णड पेच्छाइ वा णट्टपेच्छाइ वा जल्लपेच्छाई वा मल्लपेच्छाइ वा मुट्टिपेच्छोई वा वेलंवग पेच्छाइ ब. कहग पेच्छाई वा पवग पेच्छाइ वा चासग पेच्छाई वा' , a सुषम सुषमा ४जना समयमा भरत क्षेत्रमा शुनटीना तमाशाઆને જેવા મનુષ્યના ટોળાએ એકત્ર થાય છે ? નાટય-નાટકના અભિનય વિગેરે જેવા માટે મનુષ્ય એકઠા થાય છે ? જલ–વત પર અનેક જાતનાં ખેલ તમાશાએ બતાવનારાઓના કૌતુકને જોવા માટે મનુષ્યના ટેળાઓ એકત્ર થાય છે? એટલે કે ત્યાં માણસે એકત્રિત થાય છે? મલે વડે કરવામાં આવેલ બાહ યુદ્ધોને જોવા માટે માણસે એકત્રિત થાય છે ! મુષ્ટિએ વડે યુદ્ધ કરનારા મલે ન કૌતુકે ને જોવા માટે માણસે એકત્રિત સુખભંગમા વગેરે વડે માણસને હસાવવા માટે વિદૂષકોના કૌતુકોને જોવા માટે માણસો એકત્રિત થાય છે ? તેમના સુલંલિત કથાના વાંચનથી શ્રોતાઓના હૃદમા રસ ઉત્પન્ન કરા Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003154
Book TitleAgam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherJain Shastroddhar Samiti Ahmedabad
Publication Year1980
Total Pages994
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_jambudwipapragnapti
File Size29 MB
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