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१३ तत्त्वानुशासनादिसंग्रह-(१ श्रीनागसेनमुनिकृत तत्त्वानुशासन, २ श्रीपूज्यपादस्वामीकृत इष्टोपदेश पं० आशाधरकृत संस्कृतटीकासहित, ३ श्रीइन्द्रनन्दिकृत नीतिसार, ४ मोक्षपंचाशिका, ५ श्रीइन्द्रनन्दिकृत श्रुतावतार, ६ श्रीसोमदेवप्रणीत अध्यात्मतरंगिणी, ७ श्रीविद्यानन्दस्वामिप्रणीत बृहत्पंचनमस्कार या पात्रकेसरीस्तोत्र सटीक, ८ श्रीवादिराजप्रणीत अध्यात्माष्टक, ९ श्रीअमितगतिसूरिकृत द्वात्रिंशतिका, १० श्रीचन्द्रकृत वैराग्यमणिमाला, ११ श्रीदेवसेनकृत तत्त्वसार (प्राकृत), १२ ब्रह्महेमचन्द्रकृत श्रुतस्कन्ध, १३ ढाढसी गाथा (प्राकृत), १४ पद्मसिंहमुनिकृत ज्ञानसार संस्कृतच्छायासहित।) पृष्ठसंख्या १८४ । मू० % )
१४ अनगारधर्मामृत-पं० आशाधरकृत स्वोपज्ञ भव्यकुमुदचन्दिकाटीकासहित । यह भी मुनिधर्मका ग्रन्थ है। पृष्ठसंख्या ६९६ । मूल्य ३॥)
१५ युक्त्यनुशासन-श्रीमत्समन्तभद्रस्वामिकृत मूल और विद्यानन्दस्वामिकृत संस्कृतटीका । पृ० १९६ । मू० ॥-)
१६ नयचक्रसंग्रह-(१ श्रीदेवसेनसूरिकृत नयचक्र, २ आलापपद्धति और ३ माइल धवलकृत द्रव्य-गुणस्वभाव प्रकाशक नयचक्र) पृष्ठसंख्या १९४ । मू०॥)
१७ षट्प्राभृतादिसंग्रह-(१ श्रीमत्कुदकुन्दस्वामीकृत मूल षट्पाहुड और उसकी श्रुतसागरसूरिकृत संस्कृतटीका, २ श्रीकुन्दकुन्दकृत लिंगप्रामृत, ३ शीलप्राभृत, ४ रयणसार और ५ द्वादशानुप्रेक्षा संस्कृतछायासहित ।) पृष्ठसंख्या ४९२ । मू० ३)
१८ प्रायश्चित्तसंग्रह-( १ इन्दनन्दियोगीन्द्रकृत छेदपिण्ड प्राकृत छायासहित, २ नवतिवृत्तिसहित छेदशास्त्र, ३ श्रीगुरुदासकृत प्रायश्चित्तचूलिका, श्रीनन्दिगुरुकृतटीकासहित, ४ अकलंककृत प्रायश्चित्त ) पृष्ठ २०० । मू. १०)
१९ मुलाचार-(पूर्वार्ध), श्रीवट्टकेरस्वामीकृत मूल प्राकृत, श्रीवसुनन्दिश्रमणकृत आचारवृत्तिसहित । पृ० ५२० । मू० २॥)
२० भावसंग्रहादि-(१ श्रीदेवसेनसूरिकृत प्राकृत भावसंग्रह, छायासहित, २ श्रीवामदेवपण्डितकृत संस्कृत भावसंग्रह, श्रीश्रुतमुनिकृत भावत्रिभंगी और ४ आस्रवत्रिभंगी) पृ० ३२८ । मू ।)
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