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आसपास के ग्रामों के अवशिष्ट लेख
नायकन मग सेविनु गौड गौडनालगाइ प्रजेगलुं प्राचन्द्रतार' बर सवन्तागि बिट्ट दत्ति मङ्गल महा श्री ॥
[ चन्नरायपट्टन १५० ]
[ इस लेख में लेख नं० ५६ के समान होयसल वंश की उत्पत्ति व लेख नं० १२४ के समान होय्सलनरेशों का बल्लालदेव तक व बल्लालदेव के मंत्री चंद्रमौलि और उनकी धर्मपत्नी श्राचलदेवी के वंश श्रादि का वर्णन है । तत्पश्चात् कहा गया है कि श्राचलदेवी ने बड़ी भक्ति से बेल्ल तीर्थ पर पार्श्वनाथ मन्दिर निर्माण कराया और इसके लिए बल्लालदेव से बम्मेयनहल्लि ग्राम प्राप्त कर उसे अपने गुरु नयकीर्ति सिद्धान्तदेव के शिष्य बालचन्द्रमुनि की पादपूजा कर उस मन्दिर को दान कर दिया ।
लेख के अन्तभाग में उल्लेख है कि महामण्डलाचार्य नयकीर्ति देव ने मेनहल्लि में एक नई बस्ती निर्माण कराई और उसमें पार्श्वनाथ की प्रतिष्ठा की और कुछ भूमि का दान दिया । ]
४-८५
कुम्बेन हल्लि ग्राम में अञ्जनेय मन्दिर के समीप एक पाषाण पर
( लगभग शक सं० ११२२ ) श्रीमत्परम- गम्भीर - स्याद्वादामोघ लाञ्छनं । जीयात्त्रैलोक्यनाथस्य शासनं जिन शासनं ॥ १ ॥
नमस्तु ॥
श्रीपतिजन्मदिन्देसेव यादवव शदोलाद दक्षिणोoff पतियप्पन सलनेम्ब नृपं सेलेयिन्दे कोपन
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