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________________ प्रासपास के ग्रामों के प्रवशिष्ट लेख ४०७ भरदि बेलुगुल तीर्थदोल जिनपतिश्रीपार्श्वदेवोद्धम न्दिरमं माडिसिदल्बिनूत नयकीर्त्तिख्यातयोगीन्द्रभासुरशिष्योत्तम बालचन्द्रमुनिपादाम्भोजिनीभक्ते सुस्थिरेयप्पाचलदेवि कीर्तिविशदाशाचक्रे सद्भक्तियिं ॥२२॥ व ॥शकवर्षद सासिरदनूरनाल्कनेय प्लवसंवत्सरद पौषबहुलतदिगे शुक्रवारदुत्तरायणसंक्रान्तियन्दु ।। वृ ॥ शीलदि चन्द्रमौलिसचिव निजवल्लभेयाचिक्कना लोलमृगाक्षि माडिसिद पार्श्वजिनेश्वरगेहदुद्धपूजालिगे बेडे बम्मेयनहल्लियनित्तनुदारि वीर-बलालनृपालकं धरेयुमब्धियुमुल्लिनमेटदे सल्विनं ॥२३॥ तदवनिपनित्त दत्तिय नदनाचले बालचन्द्रमुनिराजश्रीपदयुगम पूजिसि चतु रुदधिवर' निमिरे कीर्ति जिनपतिगित्तल ॥ २४ ॥ अन्तु धारापूर्वकमागि कोट्ट तग्रामसीमे ( यहां नौ पंक्तियों में सीमा आदि का वर्णन है) श्रीमन्महामण्डलाचार्य्यनयकीर्तिदेवरु बम्मेयनहल्लियलु कन्नेवस दिय माडिसि श्रीपार्श्वनाथप्रतिष्ठेय माडि देवरष्टविधार्चनेगे सोमसमुद्रद केरेय केलगे मोदलेरियल्लि गद्दे सलगे येरडु बडगण हालिनलु बेदलु नानूरुवं नयकीर्तिदेवलं मारेय Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003151
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Jain
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages662
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size21 MB
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