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नगर में के अवशिष्ट लेख सुतालयद चतुर्विशतीर्थकरिगे......रिय
कय्यलु सासनद सारिगे...... [ यह लेख अधूरा है। इसके ऊपर और नीचे का भाग बिलकुल ही घिस गया है । लेख में चतुर्विशति तीर्थंकरों की अष्टविध पूजन के लिए उक्त तिथि को कुछ भूमि के दान का उल्लेख है। इस दान को ज्येष्ठ नयकीति और लघु नयकीर्ति प्राचन्द्रार्कतारं नियत रक्खें । ]
४५५ (४८०) मठ में वर्द्धमान स्वामी को प्रभावली के पृष्ठ भाग पर
( ग्रंथ और तामिल ) श्रीवर्द्धमानायनमः । शालीवाहन शकाब्दः १७८० श्रीमत्पश्चिमतीर्थङ्करमोक्षगताब्दः २५२१ प्रभवादिगताब्दः ५१ ल शेल्लानिन कालयुक्ति नाम संवत्सर आषाढ़ शुद्ध पूणिमा तिथियिल श्रीमद् बेल्गुमठत्तिल नित्यपूजा-निमित्तमाग श्री सन्मतिसागरवणिगलुदैय अभीष्टसिद्धार्थ श्रीवीर-वर्द्धमान स्वामिप्रतिबिम्ब कश्चिदेशं शेणियम्बाक्कं अप्पासामियाल सैवित्त उभयं एधता नित्यमङ्गलं ।।
४५६ (४८१) चन्द्रनाथस्वामी की प्रभावली पर
(ग्रंथलिपि में)
(शक सं० १७७८) श्री चन्द्रनाथाय नमः।
प्रष्टा-सप्तत्यधिकात्सप्त-शतोत्तर-सहस्रकाद्गुणिते ।
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