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३५२ विन्ध्यगिरि पर्वत के अवशिष्ट लेख
[यह लेख एक घण्टे पर है । धरणप्पासूज की स्मृति में मातप्पा ने अर्पण किया ]
४१८ (४७७) श्रीमल्लिसेट्टिय मगलाद र...यिगल निसिधि ४१६ (४७८ ) काल...कर...ह...ल नेरुवाद...ल
अमर...वगे...चले...कस...य गडे गौडगं...नण्टर पं...न बान......रिद युगल न......चन्द...प्पं केञ्चगौड गरु
यङ्क......धार या,..द ४२० (४७६ ) पण्डितय्य ४२१ ( ४६५ ) विरोधिक्रतुसंवत्सरद जेष्ट शुद्ध १० श्री मूल
सङ्क देसिगण पुस्तकगच्छ कोण्डकुन्दान्वयद श्रीमद् अभिनव पण्डिताचार्य्यर शिष्य सम्यक्तचूड़ामणि एनिसिद आभव्योत्तमनु तलेहद नागि सेट्टिय सुपुत्र पाइसेटि श्री गुम्मटनाथ स्वामिय पूजेगे सम्पगेय मरन बलि समर्पसिद पल दिन्द जिनेश्वरन चरणस्मरणान्त-करणनु सुख समाधियिन्द सुगति प्राप्तनादुदके मङ्गल महा
श्री श्री श्री। ४२२ ( ४६६ ) स्वस्ति श्रीमतु जिनसिनि भट्टारक पट्टा
चार्यरु कालापुरद वरू सङ्घ सहवागि रौद्रि संवत्सरद वैशाख सुद्द १० सक्र
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