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विन्ध्यगिरि पर्वत के अवशिष्ट लेख
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३५८ (२३८) संवत १८०० कत सद ६ सवत १८०० ( नागरी लिपि में ) पह-स २ पत दव पनपथ दनचद परवल क बप ।
३५८ ( २४८ ) सब १८०० मत पह सद ८ मंगलवर (नागरी लिपि में) कट रद्द व गरधर लल वजमल क बट व मगतरय कट रयक बट बणमल गमट सम क जत कर ।
३६० (२५१ ) ( यह लेख, शिलालेख नं० -६० (२४०) के प्रथम १५ पद्यों की हूबहू कापी मात्र है ) ३६१ ( २५२ ) स्वस्ति श्रीमतु वड्डव्यवहारि मोसलेय.. वि सेट्टियह तावु माडिसिद चवीस तीर्थकर अष्टविधार्चनेगे वरिषनिबन्धियागि माणिक्यनकर.. . शस-नकरङ्गलु कोट्ट पडिप... गे हाग ।... व सेट्टि बाचिसेट्टि चिक्क बाचिसेट्टि प २ सम्मेलेय केटि सेट्टि चन्दि सेट्टि गुम्मि सेट्टि चिक्कतम्म, प २ आादिसेट्टि चैौडिसेट्टि १ बाचिसेट्टि अथिबिसेट्टि जकयेमैदन बादिसेट्टि बाचि सेट्टि मारिसेट्टि वम्मिसट्टि प २ माचि सेट्टि नम्ब्रिसेट्टि मस रिसेट्टि केतिसेट्टि प २ केतिसेट्टि रेविसेट्टि हरियमसेट्टि कोम्मिसेट्टि प्रादिसेोट्ट चिक्क-केति
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