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चन्द्रगिरि पर्वत के अवशिष्ट लेख ३०६ [शास्त्रवेदी गुण देव सूरि को नमस्कार, जिन्होंने कलवाए पर्वत के शिखर पर द्वादश व्रत धारण कर और सम्यगाराधन का पालन कर स्वर्गलाभ किया]
१६१ (२७) श्री। मासेनर्परम-प्रभाव-रिषियर कूल्वप्पिना बेट्टदुल
श्रो-सङ्गङ्गल पेल्द सिद्ध-समयन्तप्पादे नोन्तिम्बिनिन् प्रासादान्तरमान्विचित्र-कनक-प्रज्वल्यदिन्मिक्कुदान सासिवर्वर-पूजे-दन्दुये प्रवर स्वर्गाग्रमानेरिदार ॥ [ इस लेख में परम ऋषि ‘मासेन' के समाधि मरण की सूचना है। १६२ (३६) श्री चिकुरापरविय गुरवर सिष्यर सर्वणन्दि
अवन् श्री बसुदेवन् । १६३ (३७) श्रीमद् गङ्गान्व । १६४ (३८) वीतरासि। १६५ (३८) श्रोचावुण्डय्य । १६६ (४०) ओकविरत्न । १६७ (४१) श्रीमद् अङ्कबोय । १६८ (४२) श्रीविदेपथ्य । १६८ (४३) श्रीमद् प्रकलङ्क
पण्डितर । १७० (४४) श्री सुब। १७१ (४५)...लम्बकुलान्तक बीरर बण्ड परिकरन किङ्ग। १७२ (४६) स्वस्ति श्री अण्नन कालेय पण्डिग कल्वप्प
तीर्थव बन्दि...
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