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श्रवण बेल्गोल के आसपास
१४४ ( ३८४) जिननाथपुर में अरेगल बस्ति के पूर्व की ओर
(लगभग शक सं० १०५७) श्रीमत्परम-गम्भीर-स्याद्वादामोघ-लाञ्छनं । जीयात् त्रैलोक्य-नाथस्य शासनं जिन-शासनं ॥ १ ॥ भद्रमस्तु जिन-शासनाय सम्पद्यतां प्रतिविधान-हेतवे । अन्य-वादि-मद-हस्ति-मस्तक-स्फाटनाय घटने-पटीयसे ॥२॥
स्वस्ति समस्त-भुवनाश्रय श्री-पृथ्वी-वल्लभ-महाराजाधिराज परमेश्वर परम-भट्टारकं सत्याश्रय-कुल-तिलकं चालुक्याभरणं श्रीमत्रिभूवनमल-देवर राज्यमुत्तरोत्तराभिवृद्धि-प्रवर्द्धमान माचन्द्रार्कतारम्बर सल्लुत्तमिरे ।।
विनयादित्य-नृपालं जन-विनुत पोयसलाम्बरान्वयदिनपं । मनु-मार्गनेनिसि नेगल्द
वन-निधि-परिवृत-समस्त-धात्री-तलदोल ॥ ३ ॥ तत्पुत्र ॥
एरेयङ्ग-पोरसलं तल्तरेयट्टि विरोधि-भूपर धुरदेडेयोल ।
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