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२६६ श्रवण बेलगोल नगर में के शिलालेख
१३७ (३४५) उसी स्थान में द्वितीय स्तम्भ पर
( लगभग शक सं० १०८०) श्रीमत्परम-गम्भीर-स्यावादामोघ-लाञ्छनं ।
जीयात् त्रैलोक्य-नाथस्य शासनं जिन-शासनं ।। १ ।। भद्रमस्तु जिन-शासनाय ।।
स्वस्ति-श्री-जन्म-गेहं निभृत-निरुपमौर्वानलोदाम-तेजं विस्तारान्तःकृतावीतलममल-यशश्चन्द्र-सम्भूति-धाम । वस्तु-बातोद्भव-स्थानकमतिशय-सत्वावलम्वं गभीरं प्रस्तुत्यं नित्यमम्मानिधि-निभमेसेगुं होय्सलोीश-वंशं
॥२॥ अदरोलु कौस्तुभदोन्दनय-गुणम देवेभदुद्दाम-मस्वदगुर्व हिम-रश्मियुज्वल-कला-सम्पत्तियं पारिजातदुदारत्वद पेम्पनोवने नितान्तं ताल्दि तानल्त पु
ट्टिदनुद्वेजित-वीर-वैरि-विनयादित्यावनीपालकं ।। ३ ।। क ॥ विनयं बुधर रजिसे
धन-तेज वैरि-बलमनललि से नेगल्द । बिनयादित्य-नृपालकननुगत-नामार्थनमल-कीर्ति-समर्थ ।। ४ ।।
आ-विनयादित्यन वधु भावोद्भव-मन्त्र-देवता-सन्निभेस
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