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२४६ श्रवण बेलगोल नगर में के शिलालेख पों में होयसल वंश के नरेशों का वर्णन है । जिनकी वंशावली इस प्रकार दी है
विनयादित्य केलेयबरसि
ऐरेयङ्ग-एचलदेवी
बल्लाल
विष्णुनगालक लक्ष्मीदेवी उदयादित्य नरसिंह-एचलदेवी
वीर बल्लाल देव विष्णुनृप की कीर्ति में कहा गया है उन्होंने कई युद्ध जीते और अपने शत्रुओं के प्रबल दुर्ग जैसे कि कोयतूर, तलवनपुर व रायरायपुर जला डाले।
वीर बल्लाल देव की युद्ध-दुन्दुभी बजते ही लाड नरेश की शान्ति भङ्ग हो गई, गुर्जर-नरेश को भीतिज्वर हो गया, गौड़-नरेश को शूल उठ श्राया, पल्लव-नरेश पल्लवाञ्जलि लेकर खड़े हो गये, और चोल-नरेश के वस्त्र स्खलित हो गये। प्रोडेयरस-नरेश ने अभिमान में प्राकर युद्ध करने की ठानी, पर बल्लाल-नरेश ने उच्चङ्गि दुर्ग के शिखरों को चूर्ण कर डाला और पाण्ड्य-नरेश को उसकी अङ्गनाओं-सहित कैद कर लिया ।
पद्य बाइस से आगे इन्हीं द्वारवती के यादव वंशी नरेश त्रिभुवनमल्ल वीर वल्लाल देव का परिचय है। लेख में इनकी अनेक प्रताप-सूचक पदवियों तथा इनके तलकाडु, काँगु, नङ्गलि, नालम्बवाडि, बनवसे और हानुंगल की विजय का उल्लेख है। शम्भुदेव और अक्कव्वे के पुत्र चन्द्रमौलि इन्हीं त्रिभुवन मल्ल वीरबल्लालदेव के मंत्री थे।
पद्य सत्ताइस से चालीस तक आचल देवी के वंश का वर्णन है जो इस प्रकार है
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